नेशनल डेस्क: निर्वाचन आयोग ने शनिवार को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही पांचों राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। ऐसे में जानते हैं कि आदर्श आचार संहिता क्या है? इसके लागू होने पर किन-किन चीजों पर पांबदियां लग जाती हैं।
क्या होती है आचार संहिता?
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है। चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा, विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है। लोकसभा चुनाव के दौरान यह पूरे देश में जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में लागू हो जाती हैं।
कब लागू होती है आचार संहिता ?
आदर्श आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है। चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने तक आचार संहिता लागू रहती है।
क्या है आचार संहिता के नियम?
चुनाव आचार संहिता के साथ ही कई नियम भी लागू हो जाते हैं। इनकी अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता।
सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होगा।
सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जायेगा।
किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास आदि नहीं होगा।
किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी।
किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे।
सजा का भी है प्रावधान
वहीं, आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान भी है। नियमों के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
क्या-क्या काम नहीं होंगे आचार संहिता में
चुनाव आयोग के अनुसार, सत्ताधारी पार्टी की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए उपलब्धियों के संबंध में सरकारी कोष की लागत पर कोई भी विज्ञापन जारी नहीं हो सकते।
सरकार के होर्डिंग, विज्ञापन आदि के बोर्ड हटा दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सहित अन्य मीडिया पर सरकारी राजकोष के खर्चें पर कोई विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा।
चुनाव के दौरान कोई भी जनप्रतिनिधि अनुदान या भुगतान नहीं कर सकते हैं।
चुनाव की घोषणा से पहले जारी कार्य आदेश के संबंध में अगर क्षेत्र में वास्तविक रूप से कार्य शुरू नहीं किया गया है तो उसे शुरू नहीं किया जाएगा।
ऐसे किसी भी क्षेत्र में जहां चुनाव चल रहे है, वहां निर्वाचन प्रक्रिया पूर्ण होने तक एमपी/एमएलए/एमएलसी स्थानीय क्षेत्र विकास फंड की किसा योजना के अंतर्गत निधियों को नए सिरे से जारी नहीं किया जाएगा।
कोई भी मंत्री या अन्य प्राधिकारी किसी भी रूप में कोई वित्तीय अनुदान या उससे संबंधित कोई वायदा नहीं करेंगे। किसी परियोजना अथवा योजना की आधारशिला इत्यादि नहीं रखेंगे, या सड़क बनवाने, पीने के पानी की सुविधा इत्यादि उपलब्ध करवाने का कोई वायदा नहीं करेंगे। इसके अलावा सरकार या निजी क्षेत्र के उपक्रमों में तदर्थ आधार पर कोई नियुक्ति नहीं करेंगे।
चुनाव अवधि के दौरान ऐसी योजनाओं के उद्घाटन/घोषणा पर प्रतिबंध है। चाहे पहले से इसका काम हो चुका हो।