- मारूति सुजुकी अध्यक्ष आर सी भार्गव ने सभी प्रकार के कारों पर एक समान कर न लगाने की वकालत की
- भार्गव ने कहा- ऑटो उद्योग के तीव्र विकास के लिए यात्री वाहनों पर 50 प्रतिशत कर को तर्कसंगत बनाए जाने की जरूरत है
- भारत दुनिया में ऐसा देश है जहां सबसे अधिक कर यात्री वाहनों पर है
नई दिल्ली। यात्री वाहन बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारूति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष आर सी भार्गव ने सभी प्रकार के कारों पर एक समान कर नहीं लगाए जाने की वकालत करते हुए कहा है कि भारत में विनिर्माण को गति देने और ऑटो उद्योग के तीव्र विकास के लिए यात्री वाहनों पर 50 प्रतिशत कर को तर्कसंगत बनाए जाने की जरूरत है।
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भार्गव ने कल रात यहां कंपनी के वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत दुनिया में ऐसा देश है जहां सबसे अधिक कर यात्री वाहनों पर है। अभी 28 प्रतिशत जीएसटी और 22 प्रतिशत अधिभार कुल मिलाकर यह 50 प्रतिशत है जबकि ऑटो उद्योग के बल पर विकसित देश बने जर्मनी, जापान और चीन में बहुत कम है। उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत कर वाला उद्योग तेजी से विकास नहीं कर सकता है।
भारत अभी भी वाहन उद्योग को समाजवादी विचारधारा से देखा जा रहा है और इसको विलासिता की वस्तु की श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने वाहन उद्योग पर सभी तरह के कार को तर्कसंगत बनाये जाने की अपील करते हुये कहा कि पूरी दुनिया की तरह ही भारत में भी वाहनों पर कर लगाये जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि इस सदी के पहले 10 वर्षो में 2010 तक वाहनों की मांग में दो अंकों की बढोतरी हुई थी लेकिन पिछले 12 वर्षों में यह घटकर तीन प्रतिशत पर आ गयी है। उन्होंने कहा कि जब तक ऑटो उद्योग में कराधान अधिक रहेगा तब तक मांग में तीव्र बढोतरी की उम्मीद नहीं की जा सकती है। उन्होंने छोटी कारों में कम से कम दो एयरबैग और अन्य सुरक्षा मानकों को लागू किये जाने पर कहा कि यह नियम दुर्घटना रोकने में कितना सफल होता है देखना पड़ेगा लेकिन देश में सड़क दुर्घटना होने के बहुत से कारण
सबसे पहले तो भारत में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना सबसे सरल है जबकि दुनिया के अधिकांश देशों में यह बहुत कठित प्रक्रिया है। इसके साथ ही वाहनों के फिटनेस के कारण भी दुर्घटना होती है। इसके साथ ही सड़क और कई अन्य कारण है। उन्होंने कहा कि छोटे और किफायती कारों में सुरक्षा मानकों को अपनाये जाने से अब इसकी कीमतें लगभग यूरोप की कार के बराबर हो गयी है।
गत 18 दिसंबर को जीएसटी परिषद की हुई बैठक में स्पोर्ट यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) के मानक तय किये गए जिसमें वाहन को एसयूवी के नाम से जाने जाना के साथ ही 1500 सीसी से अधिक क्षमता के इंजन, 4000 मिलीमीटर से अधिक की वाहन की लंबाई और 170 मिलीमीटर ऊंचाई शामिल है। इस श्रेणी के वाहन पर 28 प्रतिशत जीएसटी और 22 प्रतिशत अधिभा लगता है। कुल मिलाकर यह 50 प्रतिशत हो जाता है।
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