पीएम मोदी ने हिरोशिमा में महात्मा गांधी की प्रतिमा का किया अनावरण
बापू के विचार दुनिया में आज भी प्रासांगिक
पीएम मोदी ने जापानी पीएम से की मुलाकात
National Desk. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे का आगाज हो गया है। शनिवार को पीएम मोदी ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु हमले में तबाह हुए शहर हिरोशिमा में राष्ट्रपति महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। प्रधानमंत्री हिरोशिमा में आयोजित जी-7 की बैठक में अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के आमंत्रण पर पहुंचे हैं। बता दें कि इस बार दुनिया के 7 ताकतवर देशों के समुह जी-7 की अध्यक्षता जापान कर रहा है।
पीएम नरेंद्र मोदी का हिरोशिमा में भारतीय समुदाय के लोगों ने जबरदस्त स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने एक कार्यक्रम में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भी दुनिया ‘हिरोशिमा’ शब्द सुनते ही सहम जाती है। मुझे जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए अपनी जापान यात्रा के दौरान महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करने का अवसर मिला। हिरोशिमा में महात्मा गांधी की मूर्ति अहिंसा के विचार को आगे बढाएगी।
बापू के विचार दुनिया में आज भी प्रासांगिक
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद से जूझ रही है। बापू के विचार जलवायु परिवर्तन को लेकर आज भी दुनिया में प्रासंगिक हैं। उनकी जीवन शैली प्रकृति के प्रति सम्मान, समर्पन और समन्वय का उत्तम उदाहरण रही है। उन्होंने आगे कहा कि मैंने जापानी पीएम को जो बोधि वृक्ष उपहार में दिया था, वह यहां हिरोशिमा में लगाया गया है ताकि लोग यहां आने पर शांति के महत्व को समझ सकें।
जापानी पीएम से की मुलाकात
जी-7 की बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापानी पीएम फुमियो किशिदा से मिले। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई, जिसमें दोनों देशो के रिश्तों को और बेहतक बनाने पर जोर दिया गया। इस दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने किशिदा को जी-7 की बैठक की मेजबानी के लिए बधाई भी दी। इसके बाद पीएम मोदी दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक यिओल के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।
क्या है जी-7 ?
बता दें कि जी-7 दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। इसमें अमेरिका, कनाडा, जापान, यूके, फ्रांस, जर्मनी और इटली जैसे देश शामिल हैं। इसके अलावा यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि इसमें शामिल होते रहते हैं। भारत इसमें बतौर गेस्ट लंबे समय से शामिल होता रहा है। इस समूह का पहला शिखर सम्मेलन साल 1975 में आयोजित हुआ था, जब शीत युद्ध का दौर अपने चरम पर था।
जी-7 में साल 1988 में तत्कालीन सोवियत संघ की भी एंट्री हुई थी, जिसके बाद यह जी-8 बन गया था। सोवियत संघ के बिखरने के बाद रूस इसका मेंबर बना रहा। लेकिन साल 2014 में रूस द्वारा यूक्रेन के क्रिमिया वाले हिस्से को जबरन कब्जाने के बाद उसे इस समूह से बाहर कर दिया गया। जिसके बाद से यह समूह अब जी-7 के नाम से जाना जाता है।