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पैसेंजर ट्रेनों के बंद होने व लेट लतीफी से रेलवे को बड़ा घाटा

  • कोरोना कॉल से नहीं उबर पाया यहां का रेलवे

  • पैसेंजर ट्रेनों के बंद होने व लेट लतीफी से बड़ा घाटा

  • चार साल में क्या रहे राजस्व के आंकड़े

National desk: भारतीय रेल लोगों की लाइफ लाइन मानी जाती है। बीते समय के साथ भारतीय रेल में भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं। यह बदलाव ट्रेनों के परिचालन से भी जुड़े हुए हैं। भारतीय रेल लगातार यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए प्रतिब्ध होने का दावा करती रहती है। यात्रियों को बेहतर सुविधा के लिए लगातार रेल प्रशासन कार्य कर रहा है। बीते कुछ सालों की बात की जाए तो रेलवे बेपटरी हो चुकी है। वर्ष 2020 में आए कोरोना संक्रमण ने पहली बार यात्री ट्रेनों के पहियों को पूरी तरह से थाम दिया था जिसके बाद रेलवे को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा।

कोरोना संक्रमण में भी मालवाहक ट्रेनें जारी रही जिससे रेलवे को थोड़ी राहत जरूर रही। कोरोना संक्रमण थमने के बाद शुरू हुई रेल सेवा में काफी बदलाव देखने को मिला।कोरोना संक्रमण से पूर्व में जहां जनरल डिब्बों में यात्रियों की संख्या सीट से चौगुनी होती थी वही कोरोना संक्रमण थमने के बाद रेल यात्रियों को जनरल डिब्बे में भी आरक्षण के साथ यात्रा करनी पड़ी। हालांकि अब सब सामान्य है।ट्रेनें पूर्व की भांति ही संचालित की जा रही है। इन सबके बीच बड़े शहरों को छोटे शहरों से जोड़ने वाली पैसेंजर ट्रेन लगभग गायब हो गए हैं। इनके साथ ही कुछ ट्रेनें भी रेल प्रशासन ने कोरोना संक्रमण के बाद से अब तक शुरू नहीं की जिसका नतीजा यह है कि दिन पर दिन रेलवे की आमदनी में गिरावट दर्ज की जा रही है। हरदोई रेलवे स्टेशन से कम किराए में बघौली, आंझी शाहाबाद,बालामऊ,बेहटा गोकुल,कौढ़ा, करना, मसित, संडीला जाने वाले ग्रामीण इलाकों के रेल यात्रियों को अब एक्सप्रेस ट्रेन में संडीला, बालामऊ व शाहबाद तक की यात्रा अधिक रुपए देकर करनी पड़ रही हैं। इसके अतिरिक्त हाल्ट स्टेशनों पर ट्रेनों का ठहराव ना होने से रेल यात्रियों की संख्या अन्य वैकल्पिक संसाधनों की ओर मुड़ गई है जिसके चलते रेल प्रशासन को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।कोरोना संक्रमण के बाद से ही लोग अब रेल को ज्यादा वरीयता भी नहीं दे रहे हैं।शहर के लोग ज्यादातर अपने वाहनों से यात्रा करना पसंद कर रहे हैं।

अगर रेलवे के राजस्व की बीते 4 सालों की बात की जाए तो रेल प्रशासन को वर्ष 2019 से 20 में हरदोई रेलवे स्टेशन से लगभग 22 लाख लोगों ने यात्रा की जिससे रेलवे की आय ₹20 करोड़ आय हुई,साल 2020 21 में कोरोना की पहली लहर आते ही पूरे देश में यात्री ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया था।ट्रेनों का संचालन एक माह बंद रहा इसके बाद यात्री ट्रेनें बहाल तो की गई लेकिन सिर्फ रिजर्वेशन वालों के लिए।रेल प्रशासन के इस निर्णय का असर भी रेलवे पर देखने को मिला जहां 1 साल में लगभग 22 लाख लोग हरदोई रेलवे स्टेशन से यात्रा करते थे वहीं वर्ष 2020-21 में मात्र 50 हजार रिजर्वेशन लोगों ने कराए।जिससे रेलवे को 2.15 करोड़ की आय हुई। इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर जिसमें ट्रेन संचालन बंद नहीं हुआ जिसके चलते यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है वर्ष 2021-22 में साल भर में 2 लाख 20 हज़ार लोगों ने हरदोई रेलवे स्टेशन से यात्रा की जिससे रेलवे की आमदनी भी बढ़ी रेलवे को लगभग 5 करोड़ 50 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ।वर्ष 2022 23 में यात्रियों के सफर का आंकड़ा लगभग 13 लाख तक पहुंच चुका है आमदनी के मामले में आंकड़ा लगभग 15 करोड तक पहुंचा है। लेकिन वर्ष 2019 की तुलना में अभी भी काफी कम है।यात्री संख्या के मामले में हरदोई रेलवे स्टेशन अभी लगभग 9 लाख यात्री और आमदनी के मामले में लगभग 5 करोड़ रुपए पीछे चल रहा है.

लोगों के अनुसार वर्ष 2019 से ही लगातार रेल ट्रैक पर रेल प्रशासन कार्य करा रहा है।अलग-अलग रेल मंडलों में यह कार्य चल रहे हैं जिसके चलते आए दिन ट्रेनों के निरस्त होने की जानकारी सामने आती रहती है।रेल यात्रियों का कहना है कि वह 4 माह पूर्व लाइन में लगकर टिकट कराते हैं यात्रा से ठीक पहले उनको पता चलता है कि ट्रेन निरस्त है ऐसे में उनको काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है।जिसके चलते लोग अब पहले से ही अन्य वैकल्पिक संसाधनों से यात्रा का मन बना लेते हैं।लोग अब रेल के लचर रवैया से वाकिफ है जिसके चलते रेलवे को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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