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RSS की मीटिंग में कुछ ताकतों को हिंदुत्व का विचार स्वीकार नहीं

  • हिंदुत्व विरोधी ताकतों के मंसूबों को विफल करने पर जोर

  • कुछ ताकतों को हिंदुत्व का विचार स्वीकार नहीं 

  • आजादी के नायकों को किया याद 

National Desk: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक के दौरान हिंदुत्व विरोधी ताकतों के मंसूबों को विफल करने पर जोर दिया गया। हरियाणा के पानीपत में हो रही संघ की इस तीन दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक के दौरान पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि कुछ ताकतें समाज में आपसी अविश्वास और अराजकता पैदा करने की साजिशें रच रही है। इन ताकतों की ओर से देश के भीतर और बाहर हिंदुत्व के विचार का विरोध किया जा रहा है। इन ताकतों के प्रति हर किसी को जागरूक रहते हुए इनके मंसूबों को विफल करने के लिए जुटना होगा।

पानीपत के पट्टी कल्याण में आयोजित संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के बैठक के दौरान पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि दुनिया के कई देश भारत के प्रति सम्मान और और सद्भाव रखते हैं मगर दुनिया की कुछ ताकतों को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है। दुनिया की कुछ ताकतें भारत के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार नहीं कर पा रही हैं। इन शक्तियों की ओर से देश विरोधी साजिशें रची जा रही हैं। इन ताकतों को हिंदुत्व का विचार स्वीकार नहीं है। इन ताकतों के मंसूबों को ध्वस्त करने के लिए देश के लोगों को जागरूक होना होगा। तभी इनके मंसूबों को ध्वस्त करने में कामयाबी मिल सकती है।

संघ का कहना है कि राष्ट्र के नवोत्थान के लिए हमें परिवार संस्था को मजबूत बनाने और बंधुता पर आधारित समरस समाज बनाने के लिए जुटना होगा। स्वदेशी भाव के साथ उद्यमिता का विकास करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इस सिलसिले में समाज के सभी घटकों और विशेष रूप से युवा वर्ग को समन्वित प्रयास करना होगा।

आजादी के नायकों को किया याद 

संघ की ओर से पारित प्रस्ताव में आजादी के अमृत महोत्सव का भी जिक्र किया गया है। संघ ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर पूरे देश ने आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले जननायकों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और मनीषियों को याद किया है। आजादी मिलने के बाद देश ने विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

देश की अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास हो रहा है और यही कारण है कि भारत पूरी दुनिया में मजबूत अर्थव्यवस्था वाली ताकत के रूप में उभर रहा है।भारत की ओर से वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को और मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है। इस अवधारणा के आधार पर विश्व बंधुत्व और मानव कल्याण के लिए भारत प्रमुख भूमिका निभाने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है।

संघ का मानना है कि विदेशी आक्रमणों तथा संघर्ष के काल में भारतीय जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ। देश की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व धार्मिक व्यवस्थाओं को गहरी चोट पहुंची। इस कालखंड के दौरान हमारे संतो और महापुरुषों के नेतृत्व में संपूर्ण समाज ने संघर्ष किया और अपने ‘स्व’ को बचाए रखा। देश के लिए ‘स्व’ की लंबी यात्रा हम सभी के लिए प्रेरणा देने का काम करती रही है।

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