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यूपी के अस्पताल में मरीज़ को भर्ती कराना पड़ रहा महँगा

  • अस्पताल में मरीज़ को भर्ती कराना पड़ रहा महँगा

  • 15 गुना बढ़ गया वार्डो का शुल्क 

  • जिलाधिकारी ने प्राइवेट वार्ड को कराया था कब्जा मुक्त

National Desk: देश अभी कोरोना महामारी के दंश से पूरी तरह बाहर ही नहीं निकल पाया था कि हरदोई मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला महिला अस्पताल में अब मरीज को भर्ती कराना महँगा पड़ रहा है।मरीज को भर्ती कराने पर दुगना नहीं तिगुना नहीं सीधे 15 गुना बोझ बढ़ गया है।दरअसल मेडिकल कॉलेज से जुड़े महिला अस्पताल के प्राइवेट से लेकर जनरल वार्ड के शुल्क में भारी इजाफा हो गया है।यह इजाफा मार्च से लोगों की जेब पर असर डाल रहा है।महिला अस्पताल में भर्ती के लिए पहले 1 वार्ड का किराया ₹177 देना पड़ता था 15 गुना किराया बढ़ने के बाद अब 1 दिन का किराया मरीजों को 1320 रुपए देना पड़ रहा है।जिला महिला अस्पताल में 7 प्राइवेट वार्ड है इसमें से दो एसी व पांच कूलर वाले वार्ड है।प्राइवेट वार्ड में भर्ती मरीजों को पहले 2 दिन का किराया 177 के रुपए देने पड़ रहे थे मार्च के बाद से मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के निर्देश पर अब 1 वार्ड में भर्ती ऑपरेशन वाले मरीज को 1 दिन का किराया ₹1320 देना पड़ रहा है।वही सर्दी जुकाम और बुखार के मरीजों से 2 दिन के लिए सामान्य यानी जनरल वार्ड के लिए 394 देना पड़ रहा है ।इस तरह से मरीजों को कम से कम 5 दिन रहना पड़ता है तो ऐसे में उन्हें ₹1856 देने पड़ रहे हैं।

वार्डो का शुल्क बढ़ने के बाद मरीज़ के तीमारदार कर रहे किनारा 

सामान्य एसी व कूलर के वार्ड पर पड़ी महंगाई की मार के बाद मरीज प्राइवेट कमरों से किनारा कर रहे हैं। तीमारदार अपने मरीजों को सामान्य वार्ड के कमरों में ही रहकर इलाज करवा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की माने तो ऑपरेशन के लिए भर्ती मरीज का चार्ज इसलिए अधिक कर दिया गया है कि उन्हें डॉक्टर कई बार देखने के लिए आते हैं कई प्रकार की दवाइयों के साथ अन्य चिकित्सीय सुविधाएं देने की बात स्वास्थ्य विभाग की ओर से कही गई है। अस्पताल के वार्डो पर पड़ी महंगाई की मार का असर यह देखने को मिला है कि प्राइवेट वार्ड में ताला लग गया है और यहां अब केवल कर्मचारी ही ड्यूटी करते दिख रहे हैं।

तत्कालीन प्राचार्य व ज़िलाधिकारी ने प्राइवेट वार्ड को कराया था क़ब्ज़ा मुक्त

महंगाई के बाद जिन वार्डों में ताला लटक रहा है उन्हें मेडिकल कॉलेज की तत्कालीन प्राचार्य व तत्कालीन जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य कर्मचारियों से खाली कराया था।इन वार्डों में पहले स्वास्थ्य विभाग के ही कर्मचारियों का कब्जा था।मरीज यहां पर भर्ती नहीं हो पा रहे थे।जिसका संज्ञान लेते हुए तत्कालीन मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य के प्रयासों से जिलाधिकारी के निर्देश पर वार्डो को कब्जा मुक्त कराकर मरीजों का इलाज होना शुरू हुआ था।

तीन वर्ष पहले ही बढ़ा दिया शुल्क

शासन से मेडिकल कॉलेज जब महिला अस्पताल जब संबद्ध हुआ था तो शासन की ओर से निर्देशित किया गया था कि 3 साल तक सभी व्यवस्थाएं यथास्थिति चलेगी जैसे कि पूर्व में स्वास्थ्य विभाग की ओर से चल रही थी।अभी 3 साल पूरे ना होने के बावजूद भी प्राइवेट वार्ड का शुल्क बढ़ाया जाना अपने आप में एक चर्चा का विषय बना हुआ है।लोगों का कहना है कि अस्पताल में व्यापक सुविधाएं नहीं मिल रही और किराया आसमान छूने लगा है।अब ऐसे में गरीब आदमी अपने मरीज का इलाज जिला अस्पताल में कैसे करा पाएगा।

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