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Jagannath Rath Yatra: कड़ी सुरक्षा के बीच जगन्नाथ रथयात्रा की शुरुआत, यहां जानें सारी डिटेल्‍स

  • भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभारम्भ

  • 1 जुलाई से 12 जुलाई तक होगी यात्रा

  • रथयात्रा में लाखों भक्तों के शामिल होने की संभावना

Jagannath Rath Yatra: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभारम्भ ओडिशा के पुरी में हो गया है। 1 जुलाई से 12 जुलाई तक ये यात्रा होगी। इस रथयात्रा में इस बार लाखों भक्तों के शामिल होने की संभावना है। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्‍नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ तीन भव्‍य रथों में सवार होकर निकलते हैं। इसमें पहला रथ भगवान जगन्‍नाथ का दूसरा भाई बलराम और तीसरा बहन सुभद्रा का होता है।

मौसी के घर जाते हैं भगवान

हर साल भगवान जगन्नाथ 3 किलोमीटर लंबी यात्रा करके अपनी मौसी गुंडिचा के घर यानी कि गुंडिचा मंदिर जाते हैं। इसके बाद वे यहां 7 दिन तक विश्राम करते हैं और फिर दोबारा जगन्‍नाथ मंदिर लौटते हैं। 3 किलोमीटर की इस भव्‍य यात्रा के लिए कई महीनों पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। हर साल खास मुहूर्त में रथों के लिए लकड़ी इकट्ठी करने का काम शुरू होता है फिर मंदिर के बढ़ई रथों का निर्माण करते हैं।

बेहद खास होते हैं जगन्‍नाथ यात्रा के रथ

जगन्‍नाथ रथ यात्रा में उपयोग होने वाले तीनों रथ कई मायनों में बेहद खास होते हैं। इन रथों में ना तो किसी धातु का उपयोग होता है और ना ही एक भी कील लगाई जाती है। रथों के रंग के अनुसार लकड़ी का चयन किया जाता है। जैसे भगवान जगन्‍नाथ के लिए गहरे रंग की नीम की लकड़ी और उनके भाई-बहन के लिए हल्‍के रंग की नीम की लकड़ी का उपयोग किया जाता है।

सोने की झाड़ू से साफ किए जाते हैं रास्ते

रथ यात्रा शुरू करने से पहले भगवान के साथ-साथ तीनों रथों की भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद जब रथ यात्रा के लिए निकलते हैं तो यात्रा के रास्‍ते को सोने की झाड़ू से साफ किया जाता है। यह सब रस्‍में देखने के लिए दुनिया भर से लोग यहां पहुंचते हैं।

रथ यात्रा 2022 का शेड्यूल
  • 1 जुलाई 2022- रथ यात्रा प्रारंभ
  • 5 जुलाई- हेरा पंचमी, पहले पांच दिन गुंडिचा मंदिर में वास करते हैं।
  • 8 जुलाई- संध्या दर्शन, मान्यता है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से 10 साल श्रीहरि की पूजा के समान पुण्य मिलता है।
  • 9 जुलाई- बहुदा यात्रा, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व बहन सुभद्रा की घर वापसी।
  • 10 जुलाई- सुनाबेसा, जगन्नाथ मंदिर लौटने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ शाही रूप लेते हैं।
  • 11 जुलाई- आधर पना, आषाढ़ शुक्ल द्वादशी पर दिव्य रथों पर एक विशेष पेय अर्पित किया जाता है। इसे पना कहते हैं।
  • 12 जुलाई- नीलाद्री बीजे, नीलाद्री बीजे जगन्नाथ यात्रा का सबसे दिलचस्प अनुष्ठान है।

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