Breaking News

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पहला राष्ट्र के नाम संबोधन,भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना:राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया

  • लोकतंत्र की जननी कहा जाता है

  • भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

(नेशनल डेस्क) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार (25 जनवरी) को देश को संबोधित किया। 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया.उन्होंने इस दौरान संविधान, महिला, सैनिक और जी-20 से लेकर हर मुद्दे पर भाषण दिया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि देश और विदेश में रहने वाले आप सभी भारत के लोगों को, मैं हार्दिक बधाई देती हूं. संविधान के लागू होने के दिन से लेकर आज तक हमारी यात्रा अद्भुत रही है और इससे कई अन्य देशों को प्रेरणा मिली है. प्रत्येक नागरिक को भारत की गौरव-गाथा पर गर्व का अनुभव होता है. जब हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तब एक राष्ट्र के रूप में हमने मिल-जुल कर जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उनका हम उत्सव मनाते हैं.


राष्ट्रपति ने कहा कि भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है. संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी. उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. यह उपलब्धि, आर्थिक अनिश्चितता से भरी वैश्विक पृष्ठभूमि में प्राप्त की गई है. सक्षम नेतृत्व और प्रभावी संघर्षशीलता के बल पर हम शीघ्र ही मंदी से बाहर आ गए और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू किया.

राष्ट्रपति ने कहा कि महिला सशक्तीकरण तथा महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं. मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं ही आने वाले कल के भारत को स्वरूप देने के लिए अधिकतम योगदान देंगी. उन्होंने कहा कि सशक्तीकरण की यही दृष्टि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों सहित, कमजोर वर्गों के लोगों के लिए सरकार की कार्य-प्रणाली का मार्गदर्शन करती है. वास्तव में हमारा उद्देश्य न केवल उन लोगों के जीवन की बाधाओं को दूर करना और उनके विकास में मदद करना है, बल्कि उन समुदायों से सीखना भी है.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बताया कि यह सार-तत्व, संविधान के केंद्र में रहा है और समय की कसौटी पर खरा उतरा है. स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के अनुरूप हमारे गणतंत्र को आधार देने वाला संविधान बना. महात्मा गांधी के नेतृत्व में, राष्ट्रीय आंदोलन का उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्त करना भी था और भारतीय आदर्शों को फिर से स्थापित करना भी था. उन दशकों के संघर्ष और बलिदान ने, हमें न केवल विदेशी शासन से बल्कि थोपे गए मूल्यों और संकीर्ण विश्व-दृष्टिकोण से भी आजादी दिलाने में मदद की.

उन्होंने कहा कि  शांति, बंधुता और समानता के हमारे सदियों पुराने मूल्यों को फिर से अपनाने में क्रांतिकारियों और सुधारकों ने दूरदर्शी और आदर्शवादी विभूतियों के साथ मिलकर काम किया. जिन लोगों ने आधुनिक भारतीय चिन्तनधारा को प्रवाह दिया, उन्होंने “आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वत:” अर्थात – हमारे पास सभी दिशाओं से अच्छे विचार आएं – के वैदिक उपदेश के अनुसार प्रगतिशील विचारों का भी स्वागत किया. लंबे और गहन विचार मंथन के परिणामस्वरूप हमारे संविधान की संरचना हुई.

About Sonal Pandey

Check Also

जदयू जिला कार्यकर्ता सम्मेलन, ‘भाजपा भगाओ देश बचाओ’ का लिया संकल्प

बापू भवन टाउन हॉल में सैकड़ों ने लिया “भाजपा भगाओ देश बचाओ” का संकल्प  यूपी …