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‘टू फिंगर टेस्ट’ असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

  • सुप्रीम कोर्ट का फैसला

  • दुष्कर्म केस में टू फिंगर टेस्ट बैन

  • 2013 में भी किया गया था बैन

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने रेप केस में टू फिंगर टेस्ट (two finger test)को बैन कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने टू फिंगर टेस्ट को असंवैधानिक (unconstitutional) करार देते हुए कहा कि इस परीक्षण (testing)का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और टू फिंगर टेस्ट करने वालों पर मुकदमा (court case)चलाया जाना चाहिए और ऐसा करने वालों को दोषी माना जाएगा। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़(Justice DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति हिमा कोहली(Justice Hima Kohli) की पीठ ने बलात्कार और हत्या (the killing)की घटना के एक दोषी को बरी करने के झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court)के फैसले को पलट दिया और उसे गुनहगार करार देने के एक निचली अदालत के फैसले को कायम रखा। 

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ये टेस्ट महिलाओं की गरिमा के लिए कुठाराघात 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि दुष्कर्म पीड़िताओं (rape victims)के परीक्षण की टू-फिंगर प्रणाली समाज में आज भी व्याप्त है। उसने केंद्र और राज्य (center and state)से कहा कि अब यह परीक्षण नहीं होना चाहिए।पीठ ने कहा, दुर्भाग्य की बात है कि यह प्रणाली अब भी व्याप्त है. महिलाओं का गुप्तांग (female genitals)संबंधी परीक्षण उनकी गरिमा पर कुठाराघात (stroke)है. यह नहीं कहा जा सकता कि यौन संबंधों (sexual relations)के लिहाज से सक्रिय महिला के साथ दुष्कर्म नहीं किया जा सकता.’’

टेस्ट करने वाला होगा दोषी

कोर्ट ने कहा कि टू-फिंगर परीक्षण करने वाले किसी भी व्यक्ति को कदाचार का दोषी (Guilty)ठहराया जाएगा। पीठ ने केंद्र और राज्य के स्वास्थ्य सचिवों को निर्देश दिया कि सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों (government and private medical colleges)के पाठ्यक्रम (syllabus)से ‘टू-फिंगर’ परीक्षण से संबंधित अध्ययन सामग्री को हटाया जाए।

2012 में जस्टिस वर्मा की कमेटी ने भी दिया था फैसला 

बता दें कि 16 दिसंबर 2012 के गैंगरेप के बाद जस्टिस वर्मा कमेटी(Justice Verma Committee) बनाई गई थी। इसने अपनी 657 पेज की रिपोर्ट (657 page repo)र्ट में कहा था कि टू फिंगर टेस्ट में वजाइना की मांसपेशियों का लचीलापन(flexion of the gynae muscles) देखा जाता है। इससे ये पता चलता है कि महिला सेक्सुअली एक्टिव(sexually active) थी या नहीं। इसमें ये समझ नहीं आता कि उसकी रजामंदी से या इसके विपरीत (with or without consent)जाकर संबंध बनाए गए। इस वजह से ये बंद होना चाहिए।

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