Breaking News
पुखराज धारण करने से 30 दिन के अंदर होते है यह चमत्कारी फायदे

पुखराज धारण करने से 30 दिन के अंदर होते है यह चमत्कारी फायदे

पुखराज का वैदिक ज्योतिष में काफी महत्व माना जाता है। इस रत्न को इसलिए धारण कोय जाता है ताकि बृहस्पति की कृपा हो सके। इन्हें देवगुरु के नाम से भी जाना जाता है। यह एक लाभकारी ग्रह है। कुंडली में बृहस्पति ग्रह कर्म, धर्म, ज्ञान और संतान सुख के संतुलन का कारक होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये ग्रह मजबूत स्थिति में होता है उसका जीवन सुख सुविधाओं से भरा रहता है। यदि आप गुरू ग्रह को मजबूत केन चाहते है तो आपको पुखराज रत्न धारण करने को जरूरत है। चलिए अब जानते है कि किन लोगों को रत्न धारण करने की जरूरत है और किन्हें नहीं।

यह भी पढ़ें, ऐसे सपने देखने से जीवन में आती है सुख समृद्धि, करियर के लिए होता है शुभ

पुखराज रत्न:

ये रत्न वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वालों के लिए काफी शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर इन राशियों के लोग पूरी विधि विधान से इसे धारण करें तो इन्हें बहुत लाभ मिल सकता है।

क्या है पुखराज रत्न धारण करने के फायदे: 

व्यापार, शादी, घर के निर्माण में या सन्तान प्राप्ति में आ रही बाधा को दूर करने के लिए यह रत्न काफी लाभकारी माना गया है। यह रत्न व्यक्ति को काफी समृद्धशाली बना देता है। इस रत्न के प्रभाव से व्यक्ति की एकाग्रता शक्ति बढ़ती है। साथ ही निर्णय लेने की क्षमता भी बेहतर होती है।

पुखराज धारण करने की विधि:

• आप पुखराज को शरीर के वजन के अनुसार ही धारण करें। यदि किसी व्यक्ति का वजह 70 किलो है तो उसे 7.5 रत्ती का पुखराज धारण कर लेना चाहिए।

• इस रत्न को केवल सोने या तांबे के साथ ही धारण करे।

• यह रत्न केवल गुरुवार के दिन ही धारण किया जाता है। इसके साथ ही अगर इस दिन शुभ नक्षत्र और गुरु पुष्य योग भी हो तो पुखराज रत्न धारण करना अत्यंत ही शुभ रहता है।

• जब आप पुखराज धारण करें तो उसके पहले आप उसे गंगाजल गाय के दूध, दही, शुद्ध देशी घी, शहद और शक्कर से रत्न को स्नान कराएं। फिर इसे स्वच्छ पानी से साफ कर लें। इसके बाद रत्न को साफ पीले कपड़े पर स्थापित कर लें और उस पर रोली, चावल, वस्त्र और पीले फूल चढ़ाएं। फिर उसे धुपबत्ती और दीपक दिखाएं।

• आप गुरू ग्रह का ध्यान करें व इस मंत्र का जप करें, “ॐ ग्रां ग्रीँ ग्रोँ स:गुरवे नमः”।

• इसके बाद आप गुरू की प्राण प्रतिष्ठा करें तथा यह विनती करें कि ‘हे ब्रहस्पति भगवान! आज से हमारे पुखराज मुद्रिका मे विराजमान हों’।

• पश्चात आप 108 बार ‘ॐ ब्रँ ब्रस्पतये नमः’ मंत्र कहकर 1-1 चावल छोड़ते रहें।

-इसके बाद गुरु की आरती गायें और फिर इस अंगूठी को तर्जनी ऊँगली मे धारण कर लें।

About admin

Check Also

Aaj ka Rashifal 25 April 2023: जानें कैसा बीतेगा आपका आज का दिन

जानें इन राशि वालों का कैसा बीतेगा आज का दिन किन राशि वालों को होगा …