नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विपक्षी दलों के 12 सदस्यों के निलंबन की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए विपक्षी दलों ने मंगलवार को राज्यसभा में हंगामा किया और फिर सदन से बहिर्गमन किया। शून्यकाल में सदस्यों के निलंबन का मामला उठाते हुए विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 12 सदस्यों के निलंबन की प्रक्रिया में नियमों और परंपराओं का उल्लंघन किया गया। उन्होंने कहा कि जब संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी निलंबन का प्रस्ताव रख रहे थे उस समय उन्होंने व्यवस्था का प्रश्न उठाया था लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई।
उन्होंने कहा, ‘व्यवस्था का प्रश्न उठाने वाले सदस्य को अनुमति दिए जाने का नियम है। लेकिन मुझे इसकी अनुमति नहीं दी गई। यह संसदीय परंपरा के खिलाफ है।’उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि पिछले मानसून सत्र में हुई घटना के लिए सदस्यों को शीतकालीन सत्र में निलंबित किया गया है। हालांकि सभापति ने कहा कि राज्यसभा की बैठक निरंतर चलती है। उन्होंने कहा कि सदन और सभापति ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए अधिकृत हैं और इसी के तहत सदन ने सोमवार को सदस्यों को निलंबित करने का फैसला किया। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने हंगामा आरंभ कर दिया और नारेबाजी शुरु कर दी।
सभापति ने सदस्यों से ऐसा न करने के लिए कहा लेकिन उनकी अपील बेअसर रही। हंगामे के बीच ही कुछ सदस्यों ने तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश सहित दक्षिण के कुछ राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ से हुए नुकासान का मुद्दा उठाया। इसके बाद कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।
संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान ‘अशोभनीय आचरण’ करने के लिए, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी।