Baisakhi 2022
आज बैसाखी है जो कि खुशियों व समृद्धि का त्यौहार है। यह त्यौहार वर्ष के चौथे महीने अप्रैल में मनाया जाता है। यह दिन सौर नव वर्ष के तौर पर मनाया जाता है। यह त्यौहार खासकर किसानों के लिए होता है। इसलिए अनाज की पूजा इस दिन की जाती है। तथा जो फसल हमें मिलती है उसके लिए भगवान को शुक्रिया अदा किया जाता है। इस त्यौहार पर अपनी खुशी जाहिर करने के लिए लोग भांगड़ा नृत्य करते है। इस दिन मेष राशि मे सूर्य का प्रवेश होता है इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहते है।
चलिए अब जानते है कि इस त्यौहार को कैसे व कब मनाया जाता है।
बैसाखी कब है: Baisakhi 2022
बैसाखी अप्रैल की 14 तारीख को है। चूंकि आज मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होगा इसकिये इसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है। इस दिवस के दिन लोग नए कपड़े पहनते है व शुभकामनाएं देकर एक दूसरे को अपनी खुशी जाहिर करते है।
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क्यों मनाते है यह त्यौहार:
यह त्यौहार सिखों के लोए एक तरह से नव वर्ष की तरह है। जब बैसाखी आती है तब तक रबी की फसल पक चुकी होती है तथा इसकी कटाई होती है। उस फसल के मिलने पर यह लोग अपनी खुशी जाहिर करते है।
अन्य महत्व यह है कि 13 अप्रैल 1699 में सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की शुरुआत की थी। इसी के साथ यह पर्व भी मनाया जाने लगा। इसे पंजाबी नया साल भी कहा जाता है।
किस तरह मनाते है बैसाखी पर्व:
इस दिन गुरुद्वारों को खूब सजाया जाता है। तथा लोग सुबह सुबह उठकर वहां जाकर प्रार्थना करते है। गुरु ग्रन्थ साहिब के स्थान को दूध व जल से पवित्र किया जाता है। इसी के बाद पवित्र पुस्तक को ताज के साथ इसी स्थान पर रकह दिया जाता है।
तथा इस दिवस के दिन खास पूजा की जाती है। श्रद्धालु इस दिन गुरु वाणी भी सुनते ही। उनके लिए खीर व शर्बत बनाया जाता है। किसान इस दिन फसल प्राप्ति की लिए भगवान को कोटि कोटि प्रणाम करते है व शुक्रिया अदा करते है।
साह के समय सभी अपने अपने घरों के बाहर लकड़ियां जलाकर गोल घेरा बनाते है व उत्सव मनाते है। इसी के आस पास वे गिद्दा और भांगड़ा करके अपनी खुशी का इजहार भी करते है। तथा एक दूसरे को शुभकामनाएं देते है।