गुरू प्रदोष व्रत 2022: गुरु प्रदोष व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है। यह व्रत भगवान शंकर को समर्पित है। 14 अप्रैल 2022 को चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी है। यह दिन गुरुवार के दिन होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जायेगा। इस व्रत में भगवान शिव व पार्वती माता की आराधना की जाती है।
चलिए अब बताते है इस व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व व व्रत का समय:l
शुभ मुहूर्त:
गुरुवार, त्रयोदशी तिथि, सुबह 4 बजकर 49 मिंट से शुरू होकर 15 अप्रैल यानी शुक्रवार सुबह 3 बजकर 55 मिंट पर समाप्त हो जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त अप्रैल 14 की शाम 6 बजकर 46 मिंट से रात 9 बजे तक रहेगा।
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क्या शुभ योग होंगे उस दिन:
सुबह 9 बजकर 52 मिंट तक वृद्धि योग है। जिसके बाद ध्रुव योग होगा। यह दोनों योग ज्योतिष की दृष्टि में काफी शुभ माने जाते है इस योग में आप जो भी कार्य का करेंगे व काफी शुभ माने जाएंगे।
व्रत का महत्व:
यदि कोई व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है तो उसे सन्तान प्राप्ति होती है। तथा भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। व सौभाग्य प्राप्ति हो सकती है। यदि आप भगवान शिव का जाप करते है तो अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है।
पूजा की विधि:
प्रदोष काल मे भगवान शिव की पूजा की जाती है। सूर्य अस्त होने से 45 मिंट पहले व 45 मिनट बाद तक जो समय रहता है उसे प्रदोष काल कहते है। इस व्रत के दिन शिव का अभिषेक करें तथा उन्हें बेलपत्र अर्पित करें। आप शिव के मंत्रों का जाप कर प्रदोष व्रत की कथा सुनी। तथा सबसे अंत मे आरती करके पूरे घर मे सभी को प्रसाद बाटें।