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यूपी से बिहार तक खुद प्‍यासी है जीवनदायिनी, संकट में गंगा का जल स्‍तर

  • संगम नगरी में प्‍यास से तड़प रही है जीवनदायिनी

  • गंगा के कम स्‍तर ने तोड़ा 20 वर्षों का रिकार्ड

  • जल स्‍तर के मामले में यूपी के कानपुर बिहार तक का हाल है खराब 


यूपी डेस्‍क: गंगोत्री से गंगासागर तक करोड़ों लोगों के जीवन और आजीविका का आधार बनी जीवनदायिनी प्रयागराज में अब खुद प्यासी तड़प रही है। यह हाल सिर्फ तीर्थराज में ही नहीं है, इसके ऊपर भी है। कानपुर, फतेहपुर, रायबरेली, कौशांबी व प्रतापगढ़ में भी गंगा में घुटने भर पानी कम हो गया है। सबसे ज्यादा श्रृंगवेरपुर से संगम तक हालत खराब है। यहां गंगा की धारा कई स्थानों पर सिमट गई है। धारा में जगह-जगह रेत के टीले बन गए हैं। यही नहीं इस क्षेत्र में गूगल मैप पर भी गंगा सूखी नजर आ रहीं। मैप पर संगम के ऊपर फाफामऊ और कुरेसर घाट तक तो पानी दिख ही नहीं रहा है।

पावन संगम में श्रद्धालुओं को बैठ कर करना पड़ रहा स्नान:

संगम में गंगा का पानी इतना कम हो गया है कि श्रद्धालुओं को बैठकर डुबकी लगानी पड़ रही है। मतलब घुटने के नीचे तक ही पानी है। श्रृंगवेरपुर के नीचे कुरेसर घाट और इसके आगे बेहद कम पानी है। सिंचाई विभाग के मुताबिक लगभग 20 वर्षों बाद मई माह में गंगा का जलस्तर ढाई हजार क्यूसेक पर आ गया। हां, संगम पर यह बढ़कर लगभग 5500 क्यूसेक हो जा रहा है। पिछले साल यहां गंगा का जलस्तर नौ हजार हजार क्यूसेक था। वैसे पिछले साल मई माह में बारिश भी हुई थी, जिससे जलस्तर दुरुस्त हो गया था।

इस वर्ष गंगा में बेहद कम पानी होने से श्रद्धालुओं, तीर्थपुरोहितों, संतों की चिंता बढ़ गई है। तटवर्ती इलाकों में रेत पर उगाई जाने वाली फसलों की सिंचाई का भी संकट पैदा हो गया है। भूजल स्तर खिसकने के चलते नलकूप से रेत तक पानी लाना पड़ रहा है। प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशांबी, भदोही, मीरजापुर, चंदौली व वाराणसी में बड़ी संख्या में गंगा किनारे के लोग रेत पर सब्जी व मौसमी फल तथा फूल की खेती करते हैैं जिन्हें इस बार नुकसान उठाना पड़ रहा है।

खास बातें

-20 साल में पहली बार इतनी सूखी दिखी पतितपावनी।

-5500 क्यूसेक पानी ही रह गया है संगम पर गंगा में।

-2500 क्यूसेक ही पानी है फाफामऊ समेत कई स्थानों पर।

-15000 क्यूसेक से कभी कम नहीं हुआ मई में गंगा का पानी।

विभाग भी मान रहा, संकट की है स्थिति

अगर समय रहते गंगा के न्यूनतम प्रवाह को लेकर नहीं चेता गया तो आने वाले समय में तीर्थराज में संकट बढऩे से इन्कार नहीं किया जा सकता, क्योंकि प्रयागराज शहर भूगर्भ जल के मामले में डार्कजोन में आ गया है।

बृजेश कुमार, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग, बाढ़ खंड

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