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हरियाली बांटतें हैं प्रोफेसर हरियाली गुरु

  • तकरीबन 1 लाख वृक्ष के पौधे रोपड़ कर चुके हैं हरियाली गुरु
  • दुर्लभ पौधों की बागवानी
  • वृक्षारोपण के लिए निशुल्क पौधों को देते हैं, और समय समय पर उस पौधे का लेते रहते हैं फीडबैक


प्रयागराज : हरियाली गुरु ये किसी पहाड़ी प्रदेश के व्यक्ति नहीं हैं बल्कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैं।
हरियाली गुरु और ग्रीन मैन के नाम से मशहूर डा. एन.बी. सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग के प्रोफेसर हैं। इनका रुझान व लगाव पेड़ – पौधों के अलावा जंतुओं से भी है।

पर्यावरण संरक्षण को लेकर वैश्विक संगठन व देश की सरकारें तरह-तरह की योजनाओं को लागू करती है और उसमें सहयोग के लिए लोगों से अपील भी करती है। लेकिन सारी चीजें धरी की धरी रह जाती है। लोग अपने कंफर्टजोन से बाहर नहीं निकलना चाहते इसलिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले संसाधनों से खुद को अलग नहीं रख पाते। ऐसे में जब विश्व पर्यावरण दिवस आता है तो लोगों में पर्यावरण को लेकर अचानक से चिंता सताने लगती है और मात्रा इसी विशेष दिन पौधा अथवा वृक्षारोपण कर पर्यावरण के प्रति चिंता व्यक्त करते हैं।

लेकिन हरियाली गुरु इन सब से बिल्कुल अलग हैं। हरियाली गुरु साल के 12 महीने व 365 दिन अपना जीवन अध्यापन और पर्यावरण संरक्षण को समर्पित करते हैं। ये अब तक तकरीबन एक लाख पौधों का रोपड़ कर चुके हैं।

तीसरी क्लास से कर रहे हैं वृक्षारोपण : ग्रीन मैन ने बताया की उन्हें बचपन से पेड़ पौधों वह जंतुओं से लगाव है। तीसरी क्लास से वृक्षारोपण करने लगे थे और उनका ये कारवां अभी तक जारी है।

दुर्लभ पौधों की बागवानी : हरियाली गुरु सिर्फ वृक्षारोपण ही नहीं बल्कि पौधों की बागवानी भी करते हैं। इन्होंने दुर्लभ पौधों की भी बागवानी की है। प्रदेश में जिन पेड़ों की संख्या मात्र गिनती में है। हरियाली गुरु ने अपने बागवानी में ये पौधे उससे तीन गुना संख्या में तैयार किया किया।

दूसरों को भी वृक्षा रोपण के लिए करते हैं प्रेरित :
हरियाली गुरु अपने बागवानी में नर्सरी को तैयार करके सिर्फ अपने तक ही सीमित नहीं रखते बल्कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को भी अपने बागवानी से नर्सरी से निकालकर मुफ्त में देते हैं। साथी उस पौधे का समय-समय पर फीडबैक भी लेते रहते हैं।

साइकिल की सवारी : हरियाली गुरु पर्यावरण संरक्षण के लिए सिर्फ वृक्षा रोपण ही नहीं बल्कि पर्यावरण को दूषित करने वाले साधनों का भी उपयोग नहीं करते हैं। वह हमेशा साइकिल की सवारी करते हैं।

पिछले 10 साल से कर रहे हैं मास्क का प्रयोग : ग्रीन मैन ने बताया की लोग पेंडामिक कोविड की वजह से मास्क लगाने लगे , लेकिन वह पिछले दस साल से कर रहे हैं इसका प्रयोग।

साइकिल की सवारी, मुंह पर मास्क, सिर पर हैट , साइकिल की टोकरी में पौधा हरियाली गुरु की पहचान है।

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