झुग्गी-झोपड़ी की बेटियों ने हाई स्कूल में हासिल की फर्स्ट डिवीजन
हौसले के सामने हालातों यूं टेक दिए घुटने
सपनों को साकार करने की पहली सीढ़ी हुई पार
प्रयागराज- टूटने लगें हौसले तो याद रखना ,बिना मेहनत के तख्तो ताज नहीं मिलता, ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज नहीं होता. कहावत तो आपने कई बार सुनी होगी लेकिन इस कहावत को सच होते देखना कभी कभार ही मिल पाता है. दरअसल, इस बार ये कहावत सच कर दिखाई है प्रयागराज के झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली 6 बेटियों ने. जिन्होने ऊंची हैसियत न होने के बाद भी अपने सपनों को ऊंचा रखा और आखिरकार उनके सपनों में रंग भर ही गया.
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हालात से लड़ो तकदीर खुद पलटेगी
छोटी सी जगह से निकले 6 बच्चों ने वो कर दिखाया है जिसकी आप कल्पना भी नहीं करेंगे. ये 6 की 6 बच्चियां हाई स्कूल की परीक्षा में फर्स्ट डीवीजन के साथ पास हुई हैं. इन सबके मां-बाप मजदूरी, भाड़ा या फिर कबाड़ बीनने का काम करते हैं. तो किसी की मां दूसरे घरों में साफ-सफाई का काम करती हैं. हमें गर्व है ऐसे बच्चों पर जिन्होने कठिन से कठिन समय को पार करते हुए वो कर दिखाया जो कोई सोच न सके. क्योंकि, मजदूरी और कूड़ा बीनने वाले मांबाप के पास इतना पैसा नहीं था कि, वो अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा सकें इसलिए इनमें से कुछ की सोच ये थी कि, हमारे बच्चों को भी मजदूरी करनी चाहिए. पेशे से समाजसेवी अभिषेक शुक्ला ने इन बच्चियों का दाखिला आज से 6 साल पहले ज्योति संस्था के जरिए अलग अलग स्कूलों में कराया था. इसी संस्था ने इन सभी बच्चों की शिक्षा दीक्षा की पूरी जिम्मेदारी ली और उसका निर्वाह भी किया.
कोई बनना चाहती है डॉक्टर तो कोई आईपीएस
अपने हालातो से लड़कर अपनी तकदीर को लिखने वाली खुशबु विश्वकर्मा ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 84℅ अंक हासिल किये हैं,खुशबु के माता पिता मजदूरी करते हैं और खुशबू बड़ी होकर पत्रकारिता के क्षेत्र में जाना चाहती है. सना ने परीक्षा में 81% अंक हासिल किये , सना के पिता जी फेरी लगाने के काम करते है. सना डॉक्टर बनना चाहती है. आँचल ने 80% अंक हासिल किये,आँचल के पिता जी ठेले पर सब्जी बेचते हैं. आँचल भी डॉक्टर बनना चाहती है. खुशबु बानो ने 70% अंक हासिल किये, खुशबु के पिता जी रिक्शा चलाते है. खुशबु बैंकिंग के क्षेत्र में नाम कमाना चाहती है. कोमल 64% एवँ नन्दनी ने 62 % प्रतिशत अंक हासिल किये दोनो के पिता जी कबाड़ बीनने का काम करते है दोनो आगे चलकर आईपीएस बनना चाहती है. इन बच्चियों ने बहुत ही कठिन परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई कर बोर्ड परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की है. किसी ने पिता जी के सब्जी के ठेले पर बैठकर पढ़ाई की तो किसी ने झोपड़ी में लाइट न होने की वजह से मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई की और आखिरकार हालातों ने इनके हौसले के सामने अपने घुटने टेक दिये.
प्रयागराज से सैय्यद आकिब रज़ा की रिपोर्ट