शनिवार का दिन शनिदेन को समर्पित है
विधि- विधान से शनिदेव की पूजा- अर्चना करें
शनिदेव के अशुभ प्रभावों से हर कोई भयभीत रहता है
Shanidev ki Pooja: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिवार का दिन शनिदेन को समर्पित होता है। इस दिन विधि- विधान से शनिदेव की पूजा- अर्चना की जाती है। शनिदेव के अशुभ प्रभावों से हर कोई भयभीत रहता है। शनि के अशुभ होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि के अशुभ होने पर जहां व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं शनि के शुभ होने पर व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य भी जाग जाता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। राजा दशरथ ने शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए इस स्तोत्र की रचना की थी। दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।