लाल किले से स्वदेशी आर्टेलिरी गन से दी जाएगी सलामी
अमृत महोत्सव कार्यक्रम में दिखेगा मेक इन इंडिया का रंग
नेशनल डेस्क: भारत को आजादी मिलने के 75 वर्ष पूरे होने पर मनाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में लाल किले से पहली बार मेक इन इंडिया के तहत पूरी तरह से स्वदेशी आर्टेलिरी गन से सलामी दी जाएगी। अभी तक स्वतंत्रता दिवस पर द्वितीय विश्वयुद्ध की ब्रिटिश पाउंडर-गन से ही 21 तोपों की सलामी देने की परंपरा थी। इस साल पहली बार ब्रिटिश पाउंडर गन के साथ एडवांस्ड टोड आर्टिलिरी गन सिस्टम के प्रोटो टाइप यानी स्वदेशी होवित्जर तोपों से भी सलामी दी जाएगी।
इस प्रोटो टाइप गन को खासतौर पर आजादी के अमृत महोत्सव के लिए कस्टमाइज किया गया है। मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम की स्वदेशी होवित्जर तोप पहली खेप होगी, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने डिजाइन और तैयार किया है। एटीएजीएस होवित्जर दुनिया की पहली तोप है, जो 45 किमी दूर अपना लक्ष्य भेदने में सक्षम है। स्वदेशी होवित्जर स्वचालित है और आसानी से कहीं भी टो करके ले जाई जा सकती है।
एटीएजीएस से औपचारिक 21 तोपों की सलामी दी जाएगी: रक्षा सचिव
रक्षा सचिव अजय कुमार ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि परंपरागत रूप से इस्तेमाल की जा रही ब्रिटिश तोप के साथ डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित पूरी तरह से स्वदेशी एटीएजीएस से औपचारिक 21 तोपों की सलामी दी जाएगी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि तोप का इस्तेमाल करने की पहल स्वेदश में ही हथियारों और गोला बारूद विकसित करने की भारत की बढ़ती क्षमता का प्रमाण होगी।
एटीएजीएस है क्या
डीआरडीओ ने एटीएजीएस प्रोजेक्ट 2013 में शुरू किया था, जिसके तहत भारतीय सेना में पुरानी तोपों की जगह 155 एमएस स्वदेशी आर्टिलिरी गन को शामिल करने का उद्देश्य तय किया गया। डीआरडीओ ने इसके निर्माण के लिए दो निजी क्षेत्रों की कंपनियों टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड और भारत फोर्ज लिमिटेड का सहयोग भी लिया। स्वदेशी होवित्जर गन सिस्टम की गतिशीलता अत्यधिक है और इसे आसानी से तैनात किया जा सकता है। इसकी अन्य खूबियों में सहायक पॉवर मोड, अत्याधुनिक कम्युनिकेशन सिस्टम, स्वचालित कमांड और कंट्रोल सिस्टम शामिल हैं। यह रात के अंधेरे में भी फायर पॉवर के गुण से सुसज्जित है।