नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि आज ‘दीदी की दादागिरी पर देश की सर्वोच्च अदालत ने संवैधानिक अंकुश लगाया है। भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ समग्र राष्ट्र की जनता सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को सीबीआई के सामने सारदा चिटफंड जांच मामले में पेश होने के आदेश का स्वागत करती है। इस निर्णय से भारतीय जनता पार्टी के स्टैंड पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगी है और दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है।
भाजपा की वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ममता सरकार पर जोरदार तमाचा है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को आदेश दिया है कि वे सीबीआई के सामने उपस्थित हों और पूछताछ में सहयोग करें। इतना ही नहीं, उच्चतम न्यायालय ने कहीं न कहीं इस बात का भी संज्ञान लिया है कि पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष जांच संभव नहीं है, इसलिए अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार को शिलॉंग में सीबीआई के समक्ष पूछताछ हेतु आदेश दिया है।
इरानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार चिटफंड मामले की सीबीआई की जांच में बाधा पहुंचाने के लिए उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के सचिव, डीजीपी और कोलकाता पुलिस कमिश्नर को भी अदालत की अवमानना का नोटिस देते हुए 18 फरवरी 2019 तक अपना जवाब कोर्ट को देने को कहा है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि चिटफंड घोटाले के आरोपियों के कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड जो राजीव कुमार के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल की एसआईटी ने सीबीआई को सौंपे, वे पूरी तरह सही नहीं थे, उसके साथ छेड़छाड़ की गई थी। जब सीबीआई ने आरोपियों के कॉल डिटेल्स सीधे टेलिकॉम कंपनियों से मंगाया तो दोनों कॉल डिटेल्स रिकाड्र्स में काफी अंतर पाया गया। आखिर किसके कहने पर और किस-किस को बचाने के लिए राजीव कुमार और उसके मातहतों ने चिटफंड घोटालेबाजों के कॉल डिटेल्स के साथ छेड़छाड़ की? केंद्रीय मंत्री इरानी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की सराहना करती है। साथ ही कहा कि पश्चिम बंगाल में अराजकता और गुंडागर्दी की प्रतीक बनी तृणमूल सरकार के आदेश का डंडा चला है, वह इस बात को सिद्ध करता है कि ममता बनर्जी का बनावटी प्रोटेस्ट गरीबों के लुटेरों का संरक्षण है।