महंत नरेंद्र गिरी की मौत का मामला
आनंद गिरी की जमानत पर सुनवाई पूरी
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला किया सुरक्षित
प्रयागराज: महंत नरेंद्र गिरि मौत मामले में आरोपी आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। आरोपी आनंद गिरी की जमानत के फैसले को कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया है। 9 सितंबर को इस मामले में कोर्ट फैसला सुनाएगा। अर्जी की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की अदालत में की गई। आनंद गिरि सितंबर 2021 से जेल में बंद है। पिछले दिनों आनंद को नैनी सेंट्रल जेल से चित्रकूट कारागार भेज दिया गया था। आनंद के अधिवक्ता विजय द्विवेदी ने आरोप लगाया था कि जेल में धमकाने और बदसलूकी की शिकायत करने पर जेल अधिकारियों पर कार्रवाई की बजाय आनंद को ही प्रयागराज से दूर भेज दिया गया।
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बता दें कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि पिछले साल 20 सितंबर की शाम अल्लापुर स्थित श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी के अतिथि कक्ष में मृत मिले थे। उनका शव पंखे में रस्सी के फंदे से लटका मिला था। सेवादारों ने धक्का देकर दरवाजा खोलने के बाद रस्सी काटकर उनका शरीर फंदे से उतारा था। कमरे में सुसाइड नोट मिला था जिसके आधार पर एफआइआर लिखी गई थी। अमर गिरि की तहरीर पर पुराने और चहेते शिष्य आनंद गिरि, पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा जार्जटाउन थाने में लिखा गया था। पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया। वहीं जब मामला बढ़ा तो सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया था।
जेल में बंद आनंद गिरि ने हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की जिसमें कई बार सुनवाई टली। आज गुरुवार को अदालत ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया। इससे पहले दो सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान सीबीआइ की तरफ से वकील बदलने और बहस के लिए वकील के नहीं आने पर अदालत ने नाराजगी जताई थी और कहा कि अर्जी पर बहस कर रहे सीबीआइ अधिवक्ताओं के स्थान पर सीबीआइ ने नया वकील रखा है। दो सितंबर को कोर्ट ने सुनवाई स्थगित करते हुए सीबीआइ डायरेक्टर को अपने वकील की सात सितंबर को मौजूदगी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था और कहा कि अगर सीबीआइ की तरफ से वकील नहीं आते तो सीबीआइ डायरेक्टर विवेचना अधिकारी के साथ कोर्ट को सहयोग देने के लिए स्वयं हाजिर हो। कोर्ट ने सीबीआइ अधिवक्ता संजय कुमार यादव को आदेश की जानकारी डायरेक्टर को 24 घंटे में उपलब्ध कराने का निर्देश देकर निबंधक अनुपालन को भी आदेश की प्रति सीबीआई डायरेक्टर को तत्काल भेजने का आदेश दिया था।