ओबीसी आरक्षण को लेकर यूपी सरकार ने आयोग का गठन किया
आयोग का कार्यकाल छह महीने का होगा
सरकार ने विपक्ष के हाथ से छीन लिया हथियार
(उत्तरप्रदेश डेस्क) उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर यूपी सरकार ने आयोग का गठन किया है।रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में गठित आयोग में कुल पांच सदस्य होंगे। सरकार की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी गयी है। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही यूपी के निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग आरक्षण का निर्धारण होगा।इस आयोग का कार्यकाल छह महीने का होगा. इससे संबंधित अधिसूचना भी जारी कर दी गई है
बता दें कि बीते दिनों हाई कोर्ट ने योगी सरकार को बिना ओबीसी आरक्षण लागू किए निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने को कहा था। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने जवाब दिया था कि वह आरक्षण तय करने के लिए जल्द ही आयोग का गठन करेंगे। बिना आरक्षण के चुनाव नहीं कराए जाएंगे।
दरअसल, यूपी में निकाय चुनाव को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार ने 5 दिसंबर को ओबीसी आरक्षण के लिए अधिसूचना जारी कर दी थी। इसके खिलाफ वैभव पांडेय नाम के वादी ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल कर दी और आरोप लगाया कि आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन नहीं किया गया है। इसके बाद हाई कोर्ट ने नगर निकाय के लिए जारी सरकारी अधिसूचना पर रोक लगा दी। मामले की सुनवाई बीते शनिवार को पूरी हुई जिसके बाद कोर्ट ने योगी सरकार को आदेश दिया कि वह बिना ओबीसी आरक्षण लागू किए निकाय चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करे।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद जिस तरह से विपक्ष सरकार पर हमलावर हुआ, सरकार ने आयोग के गठन में तेजी दिखाते हुए विपक्ष के हाथ से हथियार छीनने के साथ पिछड़ा वर्ग को भी बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। यह कदम उठाकर वह सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दे सकेगी कि आयोग का गठन कर वह निकाय चुनाव के संदर्भ में शीर्ष न्यायालय के ट्रिपल टेस्ट के फार्मूले पर खरा उतरना चाहती है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 762 नगरीय निकायों में चुनाव होने थे। इन नगरीय निकायों का कार्यकाल 12 दिसंबर से 19 जनवरी 2023 के बीच खत्म होना है। इन निकायों में चुनाव के लिए सरकार ने ओबीसी कोटे का ड्राफ्ट भी जारी कर दिया था, जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है।