ठंड और भूख से किसी गोवंश की मौत न होने पाए
गोशाला चलाने के लिए आत्मनिर्भर मॉडल बनाया जाए
गौशालाओं को प्राकृतिक खेती, गोबर पेंट, सीएनजी और सीबीजी से जोड़ा जाए
(उत्तरप्रदेश डेस्क) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि ठंड और भूख से किसी गोवंश की मौत न होने पाए। उन्होंने कहा कि गोशाला चलाने के लिए आत्मनिर्भर मॉडल बनाया जाए। सीएम बुधवार को अपने आवास पर दो से तीन हजार क्षमता वाले गो आश्रय स्थल संबंधी प्रस्तुतीकरण देख रहे थे।मुख्यमंत्री ने वृहद गौशालाओं के संबंध में प्रस्तुतीकरण की समीक्षा करते हुए कहा कि इन गौशालाओं को प्राकृतिक खेती, गोबर पेंट, सीएनजी और सीबीजी से जोड़ा जाए. उन्होंने कहा, “इससे गौशालाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी और वे गायों के रखरखाव और पालन-पोषण का खर्च खुद वहन करने में सक्षम होंगी।”
सीएम योगी ने प्रेजेंटेशन के दौरान निर्देश दिए हैं कि कड़ाके की सर्दी में गोशालाओं में विशेष प्रबंध किये जाएं। किसी भी गोवंश की भूख और ठंड के चलते मौत न हो। उन्होंने इससे पहले भी सभी जिलों के डीएम को वर्चुअल माध्यम से इसको लेकर रणनीति बनाने के निर्देश दिए थे। सूत्रों के अनुसार बुधवार को सीएम योगी ने कहा कि जिलों में पशु आश्रय स्थलों की देखरेख के लिए सामाजिक संस्थाओं की मदद भी ली जा सकती है।
राज्य सरकार द्वारा चलाई गई सहभागिता योजना को पूरे प्रदेश में तेजी के साथ आगे बढ़ाया जाए। इस योजना के तहत निराश्रित गोवंश को पालने वाले किसानों को प्रति गोवंश 900 रुपये मासिक दिए जा रहे हैं। भू-सत्यापन के बाद किसानों को उनका भुगतान किया जाए। पशुधन विभाग व्यवहारिक रूप से अच्छी योजना बनाएं। हर स्तर पर जवाबदेही तय होनी चाहिए.सीएम ने कहा कि गोशालाओं में अप्रैल-मई में ही पूरे साल के लिए हरा चारा, भूसा और चोकर की व्यवस्था की जाए। भारतीय नस्ल की गोवंश को सफाई और चरागाह की जगह चाहिए होती है। अगर उन्हें यह नहीं मिलेगा तो वह बीमार पड़ जाएंगी। जो भी गोशालाएं बनाई जाए उनमें इस बात का विशेष ध्यान में रखा जाए।
सीएम योगी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही निराश्रित गो आश्रय स्थल, सहभागिता योजना और कुपोषित परिवारों के लिए एक गाय की योजना गो संरक्षण में काफी प्रभावी है। पूरे प्रदेश में इन तीनों योजनाओं को अभियान चलाकर आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि ठंड और भूख से किसी गोवंश की मौत नहीं होनी चाहिए इसका विशेष ध्यान रखें। सीएम योगी ने कहा कि दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने और बेसहारा मवेशियों के नियंत्रण के लिए नस्ल सुधार योजना में तेजी लाएं। इस योजना के तहत पशुपालक सरकारी पशु अस्पतालों में कृत्रिम गभार्धान करवा मवेशियों की नस्ल को सुधार सकते हैं। इससे दुग्ध का उत्पादन तो बढ़ेगा साथ ही मवेशियों की नई नस्ल भी तैयार हो जाएगी।