धर्म डेस्क: वैशाख के महीने के शुक्लपक्ष में बहुत से महत्वपूर्ण त्यौहार आते हैं। वैशाख के महीने में दान देने का बहुत महत्व होता है। लेकिन ग्रंथों के अनुसार वैशाख के महीने की तृतीया, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, एकादशी और पूर्णिमा पर व्रत और पूजा के साथ-साथ दान का भी काफी महत्व है। इन सभी महत्वपूर्ण तिथियों पर भगवान विष्णु, भगवान बुद्ध, मां दुर्गा और मां गंगा की पूजा की जाती है और दान भी दिया जाता है। वैशाख शुक्लपक्ष की शुरुआत 24 अप्रैल से होगी और 7 मई तक बैशाख शुक्लपक्ष रहेगा। वहीं इन महत्वपूर्ण त्यौहारों की शुरुआत 26 अप्रैल से होगी।
वैशाख के विशेष त्यौहार
26 अप्रैल – अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। भगवान परशुराम भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन दिया गया दान अक्षय फल देता है। साथ ही इस दिन सूरज और चंद्रमा उच्च राशि में होते हैं जिस वजह से इस दिन को अबूझमुहूर्त भी माना जाता है।
28 अप्रैल – आद्य शंकराचार्य जयंती
वैशाख माह के शुक्लपक्ष की पंचमी को आद्य गुरु शंकाराचार्य जी का जन्म हुआ था। वहीं इस दिन श्री कृष्ण के परम भक्त संत सूरदास जी का भी जन्म हुआ था। इसलिए वैशाख माह की पंचमी को भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
30 अप्रैल -गंगा सप्तमी
पद्म पुराण के अनुसार शुक्लपक्ष की सप्तमी को महर्षि जह्नु ने अपने दक्षिण कर्ण से गंगा जी को बाहर निकाला था। इसलिए इस दिन मां गंगा की पूजा करनी चाहिए। इसी के साथ ही वैशाख शुक्लपक्ष की सप्तमी को भगवान चित्रगुप्त का प्राकट्योत्सव भी मनाया जाता है। वहीं कुछ ग्रंथों के अनुसार वैशाख शुक्लपक्ष की सप्तमी को भगवान बुद्ध का भी जन्म हुआ था।
1 मई – अष्टमी
इस दिन मां दुर्गा की पूजा की जाती है। मां दुर्गा की प्रतिमा को कपूर तथा जटामासी के जल से स्नान कराना चाहिए और दिन भर व्रत भी करना चाहिए। व्रती को भी पानी में आम का रस डालकर नहाना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से शत्रुओं पर जीत मिलती है।
2 मई – सीता नवमी
वैशाख माह के शुक्लपक्ष की नवमी को जानकी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसे सीता नवमी भी कहा जाता है। ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि पर राजा जनक को पृथ्वी से देवी सीता प्राप्त हुई थी।
3 मई- मोहिनी एकादशी
वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत करने से पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही व्रती पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा भी होती है। माना जाता है कि इस एकादशी व्रत को करने वाले लोगों के पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है।
5 मई – प्रदोष व्रत
वैशाख के महीने के शुक्लपक्ष का प्रदोष व्रत सभी प्रकार के संकट दूर करने वाला माना जाता है। इस बार ये बेहद ही खास है क्योंकि यह व्रत इस बार मंगलवार को है जिस वजह से भौम प्रदोष का संयोग बन रहा है। इस व्रत को करने से कर्जा और बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।
6 मई- नरसिंह जयंती
विष्णु पुराण के अनुसार वैशाख माह के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था। उन्होंने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था और उसे मोक्ष दिया था।
7 मई – वैशाख पूर्णिमा
माना जाता है कि वैशाख पूर्णिमा पर ही ब्रह्मा जी ने श्वेत तथा काले तिलों का निर्माण किया था। मान्यता है कि इस दिन सफेद और काले तिलों को पानी में डालकर नहाना चाहिए। साथ ही अग्नि में भी तिलों की आहुति देनी चाहिए और शहद और तिलों से भरा हुआ मिट्टी का बर्तन दान भी करना चाहिए।