बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर बैन के खिलाफ 6 फरवरी को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच की मांग
जानें क्या है बीबीसी डॉक्यूमेंट्री
BBC Documentary Controversy: साल 2002 के गुजरात दंगों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ पर बवाल जारी है। केंद्र द्वारा डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाए जाने के कारण देश के तमाम विश्वविद्यालयों में हंगामा बरपा हुआ है। वहीं, सरकार के इस फैसले को अब देश की सर्वोच्च अदालत में भी चुनौती दी गई है। एडवोकेट एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर डॉक्यूमेंट्री पर से बैन हटाने की मांग की है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस याचिका पर 6 फरवरी को सुनवाई करने का फैसला लिया है। याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कहा है कि याचिका दायर करने का कारण 21 जनवरी 2023 को सामने आया, जब आईटी कानून 2021 के नियम 16 को लागु करते हुए जनता को गुजरात दंगों का खुलासा करने वाली बीबीसी डॉक्यूमेंट्री देखने पर रोक लगा दी थी। यह बैन संविधान के आर्टिकल 19 (1) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन के बराबर है।
याचिका में सरकार पर लगाया ये आरोप
याचिका में दावा किया है कि विवादित डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच की गई है क्योंकि वे उस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री थे। डॉक्यूमेंट्री में दंगे रोकने में नाकामयाब रहे जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों से जुड़े कई फैक्ट्स हैं। सच्चाई सामने आने के डर से इसे आईटी कानून 2021 के नियम 16 के तहत बैन किया गया है। याचिका में गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच की मांग भी की गई है।
बता दें कि इस मामले से जुड़ी एक और याचिका एडवोकेट सीयू सिंह ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने के लिए आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल किया है। डॉक्यूमेंट्री दिखाने के कारण छात्रों को विश्वविद्यालयों से निकाला जा रहा है। दरअसल, दिल्ली के जेएनयू, जामिया से लेकर हैदराबाद यूनिवर्सिटी तक बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाने को लेकर बवाल मचा हुआ है।