भाजपा-शिंदे गुट को लगा बड़ा झटका
नागपुर में भी करना पड़ा हार का सामना
महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने दिखाई ताकत
Maharashtra MLC Election: महाराष्ट्र में हुए एमएलसी चुनाव में राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। भाजपा को सबसे बड़ा झटका नागपुर में लगा है जिसे राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का गढ़ माना जाता है। नागपुर क्षेत्र की शिक्षक एमएलसी सीट पर भाजपा प्रत्याशी नागो गनार को हार का सामना करना पड़ा है। नागपुर सीट पर भाजपा की हार को सियासी नजरिए से इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि यहीं पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय भी है। भाजपा को राज्य की पांच एमएलसी सीटों में से सिर्फ एक कोंकण सीट पर जीत हासिल हो सकी है।
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने भाजपा और शिंदे गुट को करारा झटका दिया है। इस गठबंधन को अभी तक दो सीटों पर जीत हासिल हो चुकी है। औरंगाबाद की स्नातक एमएलसी सीट पर एनसीपी के विक्रम काले को जीत हासिल हुई है। अमरावती की स्नातक एमएलसी सीट पर भी महाविकास अघाड़ी गठबंधन के धीरज लिंगाड़े ने बढ़त बना रखी है।
नासिक से निर्दलीय उम्मीदवार सत्यजीत तांबे जीत हासिल करने में कामयाब रहे हैं। तांबे कांग्रेस के मजबूत नेता माने जाते थे मगर इस बार टिकट न मिलने पर वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी अखाड़े में कूद गए थे। इस बार के चुनाव में वे अपनी ताकत दिखाने में कामयाब रहे हैं। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरने पर कांग्रेस पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया था। जीत हासिल करने के बाद तांबे ने कहा कि वे जल्द ही अपने सियासी भविष्य को लेकर फैसला करेंगे।
फडणवीस-गडकरी के गढ़ में भी हारी भाजपा
महाराष्ट्र में भी चुनाव में नागपुर से भाजपा उम्मीदवार की हार को काफी अहम माना जा रहा है। नागपुर से गनौर सिटिंग एमएलसी थे और इस बार का चुनाव जीतने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगा रखी थी मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गनौर को एमवीए के सुधाकर अडबाले ने हराया। अडबाले 16,700 मत हासिल करने में कामयाब रहे जबकि गनार को सिर्फ 8211 मत ही मिल सके। नागपुर को डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का गढ़ माना जाता ह। ऐसे में इस हार को भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है .
नागपुर में भाजपा उम्मीदवार की हार में ओल्ड पेंशन स्कीम को भी बड़ा कारण माना जा रहा है। चुनाव से पहले राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बयान दिया था कि ओल्ड पेंशन स्कीम की वापसी संभव नहीं है। शिक्षक और स्नातक मतदाताओं की ओर से ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की मांग की जा रही थी और इसी कारण बाद में फडणवीस के तेवर भी नरम पड़ गए थे। उनका कहना था कि वे इस स्कीम के खिलाफ नहीं है। हालांकि भाजपा उम्मीदवार को इसका फायदा नहीं मिल सका और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
मिशन 2024 में होंगी मुश्किलें
महाराष्ट्र में विदर्भ क्षेत्र को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है और नागपुर का इलाका भी विदर्भ में ही पड़ता है। ऐसे में नागपुर से भाजपा की हार को पर हैरानी जताई जा रही है। नागपुर में मिली हार ने भाजपा और शिंदे गुट की चिंता बढ़ा दी है। महाराष्ट्र एमएलसी चुनाव में भाजपा-शिंदे गुट को 5 में से सिर्फ 1 सीट पर जीत मिलना बड़ा झटका माना जा रहा है। चुनाव नतीजे को मिशन 2024 के लिए भी बड़ा संकेत माना जा रहा है।