17 साल की छात्रा के एक आईडिया ने बदली महिलाओं की जिंदगी
3 महीने के अंदर 1500 स्क्रंचीज बनाकर भेज देंगी
3 महीने पहले आश्वि को आया था ये आइडिया
Up Desk: जीवन के साठ से भी ज्यादा बसन्त देखने के बाद जिन आखो में सूनापन आ गया था, वो अनुभवी बुजुर्ग आंखे अब फिर से चमक उठी है। कुछ कर गुजरने के लिए तैयार हो चुकी है।महज दो महीने की कठोर मेहनत के बल पर वृद्धआश्रम में रहने वाली 3 महिलाओं ने 20 हजार की कमाई कर ली है । बेबस हो चुकी बुजुर्ग महिलाओं को अंधेरी लग रही दुनिया मे 17 साल की आश्वि गांधी ने उम्मीद की किरण जला दी है । करीब 3 महीने पहले आश्वि के दिमाग में आईडी आया । उसने सोचा कि वृद्ध आश्रम में रहने वाली बुजुर्ग महिलाएं के लिए कुछ कर सकती हैं। बस इसके बाद अश्वि ने गूगल पर वृद्धआश्रम के बारे में जानकारी की। आश्वी को अन्नपूर्णा वृद्ध आश्रम के बारे में जानकारी मिली।
आश्वी अपने पिता से शिवाल गांधी के साथ वृद्धआश्रम पहुंची । आश्रम में मौजूद मिली दुर्गेश , पार्वती और से बातचीत की । बातचीत में आश्वि को पता चला कि वृद्ध आश्रम में रह रही तीनो महिलाएं सिलाई कर सकती हैं । इसके बाद आश्वि ने शहर में अलग अलग बुटीक पर जाकर कपड़ों की कतरन एकत्रित की । बाजार जाकर इलास्टिक खरीदी और उसे वृद्ध आश्रम पहुँचकर महिलाओं को सौंप दिया । शुरुआत में महिलाओं ने हाथो से स्क्रक्रंची बनाकर आश्वी को दी।
अश्विन ने महिलाओं के हाथ कलाकारी देखी ,,,,तो उन्हें सिलाई मशीन खरीद कर दे दी । इसके बाद वृद्ध आश्रम में सिलाई मशीन चलने लगी । उषा ने कतरन की कटाई की जिम्मेदारी ली । दुर्गेश ने इलास्टिक लगाने का जिम्मा संभाला और उसको अंतिम रूप देने का काम पार्वती ने सिलाई करके किया । पहले बार में तीनों बुजुर्ग महिलाओं ने मिलकर 70 स्क्रंचीज बनाई। स्क्रंचीज बनने के बाद आश्वि आश्रम पहुंची। महिलाओं से स्क्रंचीज ली और उन्हें विभिन्न माध्यम से बाजार में बेच दिया। बाजार में स्क्रंचीज को बेचकर 1100 रुपये की आमदनी हुई। अश्विनी ने वृद्धआश्रम पहुंचकर महिलाओं को उनकी कमाई सौंप दी।
मेहनत की कमाई हाथ में आने के बाद बुजुर्ग महिलाओं का हौसला बढ़ा, तो आश्वि भी यहीं रुकी नही । आश्वि ने इंटरनेट के माध्यम से स्क्रंचीज का प्रमोशन किया । दो जापानी कंपनियों को अश्विनी द्वारा भेजे गए डिजाइंस पसंद आए । बातचीत के बाद दोनों जापानी कंपनियों ने आश्वी को 1500 स्क्रंचीज बनाने का ऑर्डर दिया है । एडवांस के तौर पर कंपनी ने आश्वी को ₹19000 का भुगतान भी कर दिया है। आश्वी आज अपने पिता के साथ 19000 की रकम लेकर वृद्ध आश्रम पहुंची तो महिलाओं की आंखों में खुशी के आंसू भर गए । महिलाओं ने आश्वि को प्यार दुलार किया। ढेर सारा आशीर्वाद दिया।
आश्वि ने बताया कि बुजुर्ग लोगों में बहुत खूबियां होती हैं । बस हमें उस खूबी को पहचान कर आगे बढ़ाने की का काम करना होगा । आश्वी के एक आईडिया से महिलाओं को अपनी जिंदगी बदलती हुई नजर आ रही है । महिलाओं का कहना है कि वह जल्द ही आर्डर पूरा कर देंगी । 3 महीने के अंदर 1500 स्क्रंचीज बनाकर भेज देंगी।