हंगामे के बीच स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव शुरू
पवन को देख AAP पार्षदों ने लगाए गद्दार-गद्दार के नारे
बीजेपी पार्षदों ने भी की नारेबाजी
National Desk. दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव शुरू हो गए हैं। समिति के 6 सदस्यों के लिए वोटिंग की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। एक-एक करके पार्षद अपना वोट डाल रहे हैं। इस दौरान सदन में जमकर हंगामा हो रहा है। आम आदमी पार्टी और बीजेपी के पार्षद जमकर नारेबाजी कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, सुबह 11 बजे वोटिंग शुरू हुई। पार्षदों को आज मोबाइल लेकर सदन के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। उनका फोन बाहर ही रखवा लिया गया है।
AAP पार्षदों ने लगाए गद्दार-गद्दार के नारे
वोटिंग के दौरान बवाना से पार्षद पवन सहरावत का नाम जैसे ही मत डालने के लिए पुकारा गया, आम आदमी पार्टी के पार्षद नारेबाजी करने लगे। उन्होंने गद्दार-गद्दार के नारे लगाए। दरअसल, आज सुबह मतदान से ऐन पहले बवाना से आम आदमी पार्टी के टिकट पर पार्षद चुने गए पवन ने बीजेपी का दामन थाम लिया। उन्होंने ये कहकर आप के खेमे में बेचैनी बढ़ा दी कि अभी और पार्षद बीजेपी में शामिल होंगे।
बीजेपी पार्षदों ने भी की नारेबाजी
शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते हैं, बीजेपी पार्षदों ने नारेबाजी करनी शुरू कर दी। वे मेयर शैली ओबेरॉय को सदन में बुलाने की मांग करने लगे। पार्षदों ने नारे लगाए, मेयर साहिबा सदन में आओ। शैली बीजेपी की उम्मीदवार रेखा गुप्ता को हराकत दिल्ली की मेयर बनी हैं।
दरअसल, 22 फरवरी को मेयर और डिप्टी मेयर पद का चुनाव हुआ था। दोनों ही पदों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। इसके बाद स्थायी समिति के सदस्यों के लिए वोटिंग शुरू हुई लेकिन हंगामे के कारण पूरी नहीं हो सकी। 47 पार्षद ही वोट डाल पाए थे। शुक्रवार सुबह तक के लिए सदन स्थगति कर दिया गया था। बीजेपी ने आप पर गोपनीयता भंग करने का आरोप लगाया। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों के पार्षद एक दूसरे से मारपीट करने लगे।
स्थायी समिति के लिए इतनी लड़ाई क्यों ?
दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति सबसे ताकतवर है। यह समिति निगम का कामकाज और प्रबंधन का काम देखती है। इसमें 18 सदस्य होते हैं। इनमें से 6 पार्षदों द्वारा चुने जाते हैं तो 12 एमसीडी के अलग-अलग जोन से चुने जाते हैं। इस कमेटी में एक चेयरपर्सन और एक डेप्युटी चेयरपर्सन होता है। स्थायी समिति का चेयरपर्सन ताकत के मामले में मेयर से कम नहीं होता है। ऐसे में अगर बीजेपी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव हारने के बाद यहां भी हारती है तो एमसीडी में उसके पास कुछ नहीं बचेगा।