राहुल गांधी के प्रस्ताव से भी पार्टी ने कर लिया किनारा
वन मैन-वन पोस्ट के संकल्प से किया किनारा
विपक्षी दलों के साथ गठबंधन का विकल्प खुला
National Desk: रायपुर में चल रहे कांग्रेस के 85वें अधिवेशन के दौरान पार्टी कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों से किनारा करती हुई दिखी। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कई मौकों पर वन मैन-वन पोस्ट का संकल्प दोहराते हुए दिखे हैं। अपनी चर्चित भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी उन्होंने कई मौकों पर इस मंत्र को दोहराया मगर रायपुर अधिवेशन के दौरान संविधान संशोधन समिति ने इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव से किनारा कर लिया।
इसके साथ ही वन फैमिली-वन टिकट के मुद्दे पर भी पार्टी स्पष्ट रुख अपनाती हुई नहीं दिखी। इस मुद्दे को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। जानकारों का मानना है कि पार्टी उदयपुर चिंतन शिविर में सामने आए कई महत्वपूर्ण संकल्पों से दूरी बनाते हुए दिखी।
वन मैन-वन पोस्ट के संकल्प से किया किनारा
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस के तीन दिवसीय अधिवेशन के दौरान पार्टी की ओर से कई महत्वपूर्ण संशोधनों को मंजूरी दी गई है। कांग्रेस ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और युवाओं को 50 फीसदी आरक्षण की गारंटी देने वाले एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दी है। पार्टी में हाल के दिनों में वन मैन-वन पोस्ट के प्रस्ताव की गूंज लगातार सुनाई देती रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इस प्रस्ताव पर काफी जोर देते रहे हैं।
केरल में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने जोर देकर कहा था कि पार्टी आने वाले दिनों में वन मैन-वन पोस्ट के सिद्धांत का पालन करेगी। उनका कहना था कि उदयपुर में हुए चिंतन शिविर के दौरान पार्टी ने यह संकल्प जताया था और इस संकल्प के प्रति पार्टी प्रतिबद्ध रहेगी। वैसे रायपुर में चल रहे अधिवेशन के दौरान संविधान संशोधन समिति ने इस महत्वपूर्ण संकल्प से दूरी बना ली है।
वन फैमिली-वन टिकट से भी किया किनारा
उदयपुर में हुए चिंतन शिविर के दौरान वन फैमिली-वन टिकट का फार्मूला भी अपनाने पर जोर दिया गया था। हालांकि उस समय भी इस प्रस्ताव को लेकर संशय बना हुआ था क्योंकि यह नियम गांधी परिवार पर भी लागू करना होता। पार्टी की संशोधन समिति ने वन फैमिली-वन टिकट के प्रस्ताव से भी किनारा कर लिया है। चिंतन शिविर के दौरान यह मुद्दा प्रमुखता से इसलिए उठा था ताकि पार्टी को भाजपा की ओर से लगाए जा रहे परिवारवाद के आरोप पर जवाब देने का रास्ता मिलेगा।
वैसे चिंतन शिविर में अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने केसी वेणुगोपाल के इस प्रस्ताव से सहमत न होने का जिक्र भी किया था। इस बाबत कांग्रेस संशोधन समिति के मीडिया संयोजक रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना था कि ये नीतिगत मुद्दे हैं और पार्टी में आगे भी इन मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है।
खड़गे करेंगे सदस्यों का मनोनयन
अधिवेशन के पूर्व माना जा रहा था कि कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव होगा। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने रायपुर का अधिवेशन के बारे में जानकारी देते समय जोर देकर कहा था कि अधिवेशन के दौरान सीडब्ल्यूसी सदस्यों का चुनाव भी किया जाएगा। पार्टी ने इस मुद्दे पर भी पलटी मार ली है और कांग्रेस कार्यसमिति के 35 सदस्यों को मनोनीत करने की जिम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष एवं मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंप दी गई है।
इस फैसले के साथ ही खड़गे को कार्यसमिति में अपने लोगों को रखने की बड़ी छूट हासिल हो गई है। वैसे कांग्रेस का एक धड़ा इस फैसले से सहमत नहीं बताया जा रहा है। हालांकि इस मुद्दे पर मतभेद अभी तक खुलकर सामने नहीं आया है।
विपक्षी दलों के साथ गठबंधन का विकल्प खुला
2024 की सियासी लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष की अगुवाई करने के मुद्दे पर भी अधिवेशन में अभी तक कुछ साफ नहीं हो सका है। हालांकि पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने अपने संबोधन के दौरान यह बात जरूर कही कि कांग्रेस ही अकेली ऐसी पार्टी है जो देश को निर्णायक नेतृत्व प्रदान कर सकती है।
कांग्रेस अधिवेशन के दूसरे दिन पेश किए गए राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि किसी तीसरी ताकत के उभरने से उसका फायदा एनडीए को ही मिलेगा। इसलिए कांग्रेस को समान विचारधारा वाली धर्मनिरपेक्ष ताकतों को की पहचान करनी होगी और उन्हें लामबंद करके उनके साथ गठबंधन करना होगा। इस प्रस्ताव से साफ हो गया है कि कांग्रेस ने 2024 की लड़ाई में विपक्षी दलों के साथ गठबंधन का विकल्प अभी तक खुला रखा है।