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यूपी आने वाले लोगों को लेकर हाईकोर्ट को बहुत बड़ा आदेश

यूपी डेस्क: आपके गांव, मोहल्ले या एरिया में अगर कोई यूपी के बाहर आए तो आप क्या करें? यह सवाल आजकल हर गांव और जिले में चर्चा में हैं। अब इस सवाल का जवाब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दे दिया है। हाईकोर्ट ने एक आदेश दिया जिससे अब इस समस्या का हल हो गया है। इस आदेश के अनुसार लॉकडाउन के दौरान यूपी की सीमा में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की सूची तैयार करने का आदेश है। हाईकोर्ट ने कहा कि बाहर से आने वाले लोगों की स्वास्थ्य की निगरानी के लिए 400 व्यक्तियों पर एक अधिकारी तैनात होगा। यह अधिकारी सूची के लोगों के फोन नंबर से उनके स्वास्थ्य की निगरानी और जानकारी रखेंगे। यदि किसी को खाना नहीं मिला है तो खाना उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि जो लोग हाईवे से प्राइवेट साधन या पैदल प्रदेश में आ चुके हैं, उनका पता लगाकर निगरानी सूची में शामिल किया जाए।

हाई कोर्ट ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं। उनका अनुपालन करने और कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया है। क्वारंटाइन सेंटर की दुर्दशा की शिकायत को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने गौरव कुमार गौर की याचिका पर यह आदेश दिया है। यह भी कहा कि राज्य सरकार बाहर से आए लोगों को सुनियोजित तरीके से ठहरने की व्यवस्था करे। कोर्ट ने 18 मई को कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

up border cross by kamgar

आम लोग दें बाहर से आए लोगों की जानकारी

हाई कोर्ट ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि यदि उन्हें अपने आस-पास प्रदेश के बाहर से आये व्यक्ति की जानकारी मिले तो वह शासन की ओर से जारी फोन नंबर पर इसकी सूचना तत्काल दें, ताकि उन्हें निगरानी सूची में शामिल किया जा सके। इससे बीमार होने पर उनका इलाज हो सकेगा। बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को 15 दिन क्वारंटाइन सेंटर में अनिवार्य रूप से रखा जाए। वहां की सफाई और सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की जाय ताकि गंदगी से अन्य बीमारी न फैले।

इस जिले की व्यवस्था से कोर्ट नाराज

हाई कोर्ट ने प्रयागराज जिले में कई निर्देशों के बावजूद अस्पतालों में जांच व इलाज की सुविधाएं उपलब्ध न कराने पर नाराजगी जताई है। कहा कि अस्पतालों व क्वारंटाइन सेंटरों में व्याप्त गंदगी व अव्यवस्था तथा शारीरिक दूरी बनाये रखने के दिशा-निर्देश का पालन न करने के फोटोग्राफ खुद सच्चाई बता रहे हैं। कोर्ट ने पूछा कि सरकार शहर के अस्पतालों व सामुदायिक केंद्रों में जरूरी सुविधाएं क्यों नहीं दे पा रही है? वित्तीय दिक्कत है तो राज्य सरकार की केंद्र सरकार मदद करे।

हाई कोर्ट ने कहा कि स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के अलावा किसी अस्पताल में आइसीसीयू नहीं है। प्राइवेट अस्पतालों को बंद कर दिया गया है। सरकारी अस्पतालों में रोजमर्रा के मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कब तक वह मोतीलाल नेहरू चिकित्सालय काल्विन, टीबी अस्पताल, तेजबहादुर सप्रू चिकित्सालय बेली सहित जिले के 105 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी।

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