OBC आयोग ने CM योगी को सौंपी सर्वे रिपोर्ट
पुरानी व्यवस्था की खामियां गिनाईं
हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
यूपी डेस्क: यूपी नगर निकाय चुनाव को लेकर गठित ओबीसी आयोग ने समय से पहले ही आरक्षण का सर्वे पूरा करते हुए रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है। शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस रिपोर्ट को पेश किया जाएगा। बताया जा रहा है कि कैबिनेट से रिपोर्ट को मंजूरी मिलने के बाद नगर निकाय के चुनाव अप्रैल में हो सकता है।
कैबिनेट से पास होने के बाद सरकार OBC आयोग की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर चुनाव कराने की अनुमति मांग सकती है। सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बाद नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 मार्च तक आयोग की रिपोर्ट पेश करने को कहा था। OBC आयोग की रिपोर्ट के बाद नए सिरे से नगर निकाय चुनाव का आरक्षण तय होगा। कहा जा रहा है कि सर्वे रिपोर्ट के बाद मेयर, नगर पालिका-पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण में बड़ा बदलाव हो सकता है। नगर निकाय चुनाव की आरक्षण सूची जारी होने के बाद चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है। गौरतलब है कि नगर निकाय चुनाव में OBC आरक्षण के नियमों की अनदेखी के चलते चुनाव टल गया था।
आयोग ने 350 पेज की रिपोर्ट में आरक्षण की पुरानी प्रक्रिया में कई खामियां गिनाई हैं। मसलन कई सीटें ऐसी मिलीं जहां 30 साल से एक ही आरक्षण चलता रहा। मनचाहा आरक्षण देने के लिए आंकड़ों में भी हेर-फेर किया गया। पहले हुए कुछ चुनावों में रोटेशन का प्रक्रिया का भी ठीक से पालन नहीं किया गया। आयोग ने इन खामियों को दूर करने की सिफारिश के साथ ही निकायवार जनसंख्या के आधार पर ओबीसी आरक्षण की सिफारिश की है।
आपको बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने यूपी सरकार की नगर निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को कैंसिल करते हुए निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराने का आदेश दिया था। साथ ही चुनाव 31 जनवरी 2023 तक कराने का आदेश दिया। सीएम ने कहा कि सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा देगी। इसके बाद योगी सरकार ने मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। साथ ही सीएम ने एक अयोग गठित किया।
आपको बता दें कि पिछले साल 27 दिसंबर को हाईकोर्ट से यूपी की योगी सरकार को बड़ा झटका लगा था। उस समय कोर्ट ने राज्य सरकार की उस ओबीसी सूची को खारिज कर दिया था जिसके दम पर निकाय चुनाव करवाने की तैयारी थी। कोर्ट ने साफ कहा था कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन नहीं किया गया और उसके बिना ही चुनाव की घोषणा की गई।
कोर्ट ने सरकार को ये भी कहा था कि वो बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करवा सकती है। उसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. वहां सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। सर्वोच्च न्यायालय ने जिन निकायों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उनके कामकाज के लिए विशेष समिति बनाने की बात भी कही है।