BJP के सामने न हमने कभी घुटने टेके, न ही मेरा परिवार कभी नतमस्तक होगा
विपक्षी नेताओं पर ईडी-सीबीआई का दुरुपयोग
मोदी सरकार ने इंसानियत नहीं दिखाई
बिहार डेस्क: रेलवे में कथित तौर पर नौकरी के बदले जमीन मामले में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के दिल्ली वाले आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 11 घंटे से ज्यादा समय छापेमारी और जांच की। आधी रात को ईडी की टीम तेजस्वी के घर से बाहर निकली। इस बीच आरजेडी प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर बीजेपी और ईडी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हमने आपातकाल का काला दौर भी देखा है। हमने वह लड़ाई भी लड़ी थी। आधारहीन प्रतिशोधात्मक मामलों में आज मेरी बेटियों, नन्हें-मुन्ने नातियों और गर्भवती पुत्रवधु को भाजपाई ED ने 15 घंटों से बैठा रखा है। क्या इतने निम्नस्तर पर उतर कर बीजेपी हमसे राजनीतिक लड़ाई लड़ेंगी? संघ और भाजपा के विरुद्ध मेरी वैचारिक लड़ाई रही है और रहेगी। इनके समक्ष मैंने कभी भी घुटने नहीं टेके हैं और मेरे परिवार एवं पार्टी का कोई भी व्यक्ति आपकी राजनीति के समक्ष नतमस्तक नहीं होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने ट्वीट किया कि मोदी सरकार, विपक्षी नेताओं पर ईडी-सीबीआई का दुरुपयोग कर लोकतंत्र की हत्या का कुत्सित प्रयास कर रही है। जब देश के भगोड़े करोड़ों रुपये लेकर भागे तब मोदी सरकार की एजेंसियां कहां थी? जब परम मित्र की संपत्ति आसमान छूती है तो जांच क्यों नहीं होती? इस तानाशाही का जनता मुंहतोड़ जवाब देगी!
सूत्रों ने बताया कि छापेमारी के दौरान ईडी ने 53 लाख रुपये की नकदी, 1,900 अमेरिकी डॉलर, करीब 540 ग्राम सोना और 1.5 किलो सोने के गहने जब्त किए हैं। सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके में एक घर में तलाशी ली, जहां तेजस्वी यादव मौजूद थे। एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम पर इस घर का पता है। आरोप है कि यादव परिवार अपनी आवासीय संपत्ति के तौर पर इसका इस्तेमाल कर रहा है।
ईडी ने बिहार में पटना, फुलवारी शरीफ, दिल्ली-एनसीआर, रांची और मुंबई में लालू प्रसाद की बेटियों रागिनी यादव, चंदा यादव और हेमा यादव और आरजेडी के पूर्व विधायक अबू दोजाना, अमित कत्याल, नवदीप सरदाना और प्रवीण जैन के ठिकानों पर छापे मारे।
आरोप है कि कथित घोटाले को यूपीए-1 की सरकार के दौरान तब अंजाम दिया गया था जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि 2004-2009 के दौरान भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन में समूह डी में विभिन्न व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और इसके बदले में उन्होंने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को स्थानांतरित की थी।