यूपी के बिजली कर्मचारी आज से 72 घंटे के हड़ताल पर
मांगें नहीं मानने पर होगा जेल भरो आंदोलन
बिजली कर्मचारी की प्रमुख मांग
Up desk: . बढ़ती गर्मी के बीच उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था ठप हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पावर कॉरपोरेशन और बिजली विभाग के कर्मचारियों के बीच रार तेज हो गई है। कॉरपोरेशन के रवैये के विरूद्ध मंगलवार शाम को कर्मचारी सड़क पर उतर गए। नाराज बिजली कर्मियों और इंजीनियरों ने मशाल जुलूस निकाला। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत वे बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले हाथों में मोमबत्ती जलाकर सड़क पर निकले। बिजली कर्मचारियों ने बुधवार यानी आज से 72 घंटे का हड़ताल करने का ऐलान किया है।
विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति का कहना है कि बीते 3 दिसंबर को प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा व समिति के पदाधिकारियों के बीच लिखित समझौता हुआ था। तीन माह बीत जाने के बावजूद समझौते पर कोई अमल नहीं हुआ है। इससे बिजली कर्मचारी ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने ऊर्जा मंत्री और कॉरपोरेशन प्रबंधन पर समझौते से मुकरने का आरोप भी लगाया।
मांगें नहीं मानने पर होगा जेल भरो आंदोलन
यूपी के बिजली कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आर-पार के मूड में हैं। बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने साफ कहा दिया है कि हमारों मांगों को पूरा नहीं किया गया तो जेल भरो आंदोलन होगा। यूपी में पिछले 23 साल से बिजली कर्मचारियों की कोई हड़ताल नहीं हुई है। ऐसे में अब आर-पार की लड़ाई का समय है।
बिजली कर्मचारी की प्रमुख मांग
- बिजली कर्मचारियों को कई सालों लंबित बोनस का भुगतान किया जाए।
- कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाए।
- 25 हजार करोड़ रूपये के मीटर खरीद आदेश को रद्द किया जाए।
- बिजली कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए।
- दिल्ली, पंजाब एवं तेलंगाना जैसे राज्यों की तर्ज पर बिजली निगमों के सभी सदस्यों को नियमित किया जाए।
- 9 साल, 14 साल और 19 साल की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान दिया जाए।
- सभी बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए।
- निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत, निदेशकों, प्रबंध निदेशकों एवं चेयरमैन के पदों पर नियुक्ति हो।
- बिजली कर्मचारी मौजूदा चेयरमैन एम देवराज को हटाने की मांग कर रहे हैं।
- 765/400/220 केवी विद्युत उपकेंद्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए।
- पारेषण में जारी निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द किया जाए।
- आगरा फ्रेंचाइजी और ग्रेटर नोएडा का निजीकरण निरस्त किया जाए।