सहारनपुर में बसपा से खदीजा मसूद और भाजपा के अजय सिंह के बीच प्रतिष्ठा की जंग
पेशे से हार्ट के डॉक्टर हैं भाजपा प्रत्याशी
खदीजा मसूद को जिताने के लिए इमरान मसूद ने झोंकी ताकत
Saharanpur News: चुनावी रण की सहारनपुर नगर निगम की सीट पर महापौर के उम्मीदवार के रूप में आठ प्रत्याशी मैदान में हैं। जिसमें भाजपा से डॉक्टर अजय सिंह, बसपा से खदीजा मसूद, सपा से नूर मलिक और कांग्रेस से प्रदीप वर्मा के नाम शामिल हैं। बसपा और सपा ने यहां मुस्लिम उम्मीदवार को उतार रखा है। यहां मेयर से लेकर वार्ड सभासदों तक सीटों पर प्रथम चरण में गुरूवार को भारी मतदान हुआ। अब प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में बंद हो जाएगा। इस सीट को लेकर खासकर भाजपा और बसपा के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई सामने आ रही है।
पेशे से हार्ट के डॉक्टर हैं भाजपा प्रत्याशी
बात भाजपा की करें, तो यहां से उसके मेयर उम्मीदवार डॉ. अजीत सिंह पेशे से हार्ट के डॉक्टर हैं। वो पिछले कई वर्षों से भाजपा से जुड़े हुए हैं लेकिन वह कुछ ही समय पूर्व सक्रिय हुए हैं। डॉक्टर अजय सिंह की माता पूर्व में सभासद रही हैं। डॉ. अजय सिंह छात्र जीवन में भी राजनीति से जुड़े रहे। पढ़ाई से लगाव अधिक होने के कारण अपने स्कूल के होनहार छात्रों में गिने जाते रहे। डॉ. अजय सिंह की छवि साफ-सुथरी है। उनपर किसी तरह का कोई मामला दर्ज नहीं है। सहारनपुर में मेडिकल फैसिलिटी के नाम पर सुपर स्पेशलिटी मेडीग्राम हॉस्पिटल इनका ही है। व्यक्तिगत तौर पर इनकी छवि पर कोई दाग नहीं है, इसीलिए भाजपा ने इनको सोच समझकर दांव खेला है। कहा जाता है कि यदि वह पहले रहे महापौर संजीव वालिया को टिकट देती तो उनकी छवि और कार्यों पर विरोधी आसानी से तैर सकते थे और वोट जबरदस्त प्रभावित हो सकता था। ऐसे में भाजपा अपनी जीत को लेकर संशय में थी। विकास कार्य ना होने के कारण सहारनपुर की जनता में आक्रोश था। लेकिन महापौर उम्मीदवार के तौर पर डॉ. अजय सिंह के चयन ने भाजपा को सीधे मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया है।
खदीजा मसूद को जिताने के लिए इमरान मसूद ने झोंकी ताकत
भाजपा से अपना मुकाबला मान रही बसपा ने प्रत्याशी के तौर पर सहारनपुर महापौर पद पर खदीजा मसूद को कैंडिडेट बना रखा है। जो बसपा के बड़े नेता इमरान मसूद की भाभी और समधन दोनों हैं। ऐसे में खदीजा मसूद को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी पूरी तरह से उनके जेठ इमरान मसूद अपने कंधों पर उठाए हुए हैं। इमरान मसूद मुस्लिम और दलित समीकरण को जोड़कर अपनी जीत का सपना देख रहे हैं। आपको बता दें कि सहारनपुर में इमरान मसूद हमेशा से किंग मेकर की स्थिति में रहे हैं। यह अलग बात है कि पिछले चार चुनावों से उन्हें जीत नसीब नहीं हुई है। लेकिन चुनाव के गुणा-गणित को उनके समर्थकों ने काफी हद तक प्रभावित किया है।
सपा विधायक के भाई चुनावी मैदान में
समाजवादी पार्टी से नूर मलिक यहां महापौर पद के लिए किस्मत आजमा रहे हैं। वो सहारनपुर देहात विधानसभा क्षेत्र से सपा विधायक आशु मलिक के छोटे भाई हैं। हालांकि जनपद में मुस्लिम वोटर्स की संख्या निर्णायक स्थिति में है। भाजपा को उम्मीद है कि मुस्लिम वोटों का बिखराव होगा और कुर्सी उसके हिस्से में आ जाएगी। वहीं, बसपा नेता इमरान मसूद मुस्लिमों पर अपनी एक अलग पकड़ बनाए हुए हैं। उनकी इसी पकड़ को ढीला करना भाजपा का उद्देश्य है। इतना ही नहीं सपा अपनी जीत से ज्यादा इमरान मसूद को हराने में विश्वास रख रही है। चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं की कार्यशैली से यही नजर आता दिखा। ऐसे में इमरान मसूद जो कि दलित और मुस्लिम समीकरण से जीत का सेहरा अपने पक्ष में देख रहे थे, उनका यह सपना उनका धूमिल होने का खतरा है। दूसरी तरफ भाजपा की राह में मुस्लिम वोटर्स की अड़चन बड़ी साबित हो सकती है। अगर किसी एक के खाते में एकमुश्त मुस्लिम वोट गए तो भाजपा के लिए यहां मेयर के चुनाव में निर्णायक बढ़त हासिल करना दूर हो जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक यह कटु सत्य है कि जितना अधिक वोट समाजवादी पार्टी लेने में सफल होगी। बसपा से जीत उतनी दूर होगी और भाजपा के उतने नजदीक आएगी। इन सभी उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में बंद हो गया है। अब 13 मई को पता चलेगा कि यहां किस नेता की प्रतिष्ठा बच सकी और किसकी हसरतों को मतदाताओं ने नकार दिया।