भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन बलराम जयंती मनाते हैं। साल 2020 में बलराम जयंती 9 अगस्त को मनाई जाएगी। इस त्योहार को हलछठ भी कहते हैं। इस त्योहार का महत्व उन दंपती के लिए बहुत अधिक है जो संतान प्राप्ति के लिए जतन कर रहे हैं। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां बलराम जी जैसे बलशाली पुत्र की कामना के साथ व्रत रखती हैं। साथ ही उनसे प्रार्थना करती हैं कि उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ संतान की प्राप्ति हो। भगवान बलराम भगवान श्री कृष्ण से बड़े हैं। इसलिए इनकी जयंती भी भगवान श्री कृष्ण से पहले आती है। हिंदू धर्म की तिथि के अनुसार देखा जाए तो बलराम जी षष्ठी यानी 6 और भगवान श्री कृष्ण अष्टमी आनी 8 को धरती पर आए। माना जाता है कि बलराम जी विष्णु जी के साथ क्षीरसागर में विराजने वाले शेषनाग के अवतार हैं और वह कभी भी उनका साथ नहीं छोड़ते हैं।
बलराम जयंती पूजा विधि (Balaram Jayanti Puja Vidhi)
- बलराम जयंती के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर व्रती स्त्री को घर और मंदिर साफ करना चाहिए। साथ ही स्नानादि कर स्वयं भी पवित्र हो जाना चाहिए।
- साफ कपड़े पहनकर जिस स्थान पर पूजा करनी है उसे भी साफ-सुथरा कर लें। साथ ही किसी भी शुद्ध नदी जैसे कि गंगा-यमुना का जल लेकर पूजा स्थल को साफ करें।
- फिर उस स्थान पर केले का पत्ता, एक छोटा हल और कृष्ण-बलराम की युगल जोड़ी की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
- तस्वीर या प्रतिमा पर चंदन का तिलक लगाएं। दीप जलाएं। साथ ही फूलों की माला चढ़ाएं।
- बलराम जी को नीला रंग अत्ति प्रिय है। इसलिए उन्हें नीले रंग का वस्त्र और नीला पुष्प अर्पित करें।
- साथ ही कृष्ण भगवान को पीले रंग का वस्त्र अर्पित कर, गेंदे का फूल चढ़ाएं।
- इसके बाद कृष्ण – बलराम स्तुति का पाठ करें। साथ ही इनके नामों का जाप भी करें।
- इसके बाद विष्णु भगवान की आरती करें।
- प्रयास करें कि नीले रंग की कोई मिठाई का भोग बलराम जी को लगाएं। यदि न मिल सके तो किसी भी अन्य मिठाई का भोग लगाएं।
- इस दिन दूध, दही, मक्खन और दूध से बनी चीजें व्रती न खाएं।
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