- बुधवार का दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति भगवान गणेश को इस दिन मना लेता है उसके घर-परिवार से दरिद्रता कोसों दूर चली जाती है। बुधवार विशेष की इस रिपोर्ट में हम आपको बता रहे हैं गणेश भगवान की कथा जिसे पढ़ने-सुनने से घर में शुभता का वास होता है। यह कथा घर को धन-सम्पत्ति से भर देती है। इसे सच्चे मन से पढ़ने वाले व्यक्ति पर भगवान श्री गणेश हमेशा अपनी कृपा का हाथ बनाएं रखते हैं।
उस समय की बात है जब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विवाह होना था। विष्णु जी ने अपने विवाह के लिए सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा। लेकिन गणेश जी को जानबूझ कर न्यौता नहीं दिया। जब भगवान विष्णु की बारात के लिए सभी देवगण विष्णु लोक पहुंचे तो देखा कि सभी देवी-देवता और गंधर्व आदि हैं। लेकिन गणेश जी नहीं हैं। सबने पूछा कि क्या वजह है जो गणेश जी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।
सभी देवताओं ने दूल्हा बने विष्णु जी से पूछा कि गणेश के न दिखने की क्या वजह है। भगवान विष्णु ने कहा कि गणेश बहुत अधिक भोजन करते हैं। इसलिए उन्हें बारात के साथ नहीं लेकर जाना। देवताओं ने भगवान विष्णु को कहा कि गणेश को बुला लो और उन्हें अपने लोक की सेवा में यहीं छोड़ देना। भगवान विष्णु ने ऐसा ही किया।
जब ऋषि नारद ने भगवान गणेश को बारात में न जाते देखा तो कारण पूछा। गणेश जी ने उन्हें सारी बात बताई। नारद ने उन्हें एक सुझाव बताया कि तुम अपनी चूहों की सेना से आगे का रास्ता खुदवाओ। रथ खुदी हुई जमीन में जब गिरेगा। तो सबको विघ्नहर्ता गणेश को सबसे पहले मनाने का कारण पता लगेगा। गणेश जी ने ऐसा ही किया। रथ थोड़ी दूर जाकर गड्ढे में फंस गया। सभी देवताओं ने कोशिश की। लेकिन नहीं निकला। फिर विघ्नहर्ता गणेश को बुलाकर उनसे क्षमा मांगी गई। तब गणेश जी ने प्रसन्न होकर सभी देवताओं के कहने पर विघ्न हरे।