- पितृ पक्ष में लगता है पितरों को खास भोग
- इन चीज़ों का भोग लगाने से मिलती पितरों की कृपा
धर्म डेस्क: आज भाद्रपद मास की प्रतिपदा तिथि के साथ श्राद्ध पक्ष का आरंभ हो चुका है। जिसके आरंभ होते ही लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने में जुट जाते हैं। हालांकि बात करें इस साल के पितृ पक्ष की तो, कोरोना के कारण इस बार बहुत से बदलाव देखने को मिलेंगे। सनातन धर्म में शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष के तरह पितृ पक्ष का भी अधिक महत्व होता है। मान्यता है पितरों को देवताओं के समान दर्जा दिया जाता है। ये भी कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितर धरती पर किसी न किसी रूप में आकर अपने परिजनों द्वारा अर्पित किया गया भोजन ग्रहण करते हैं।
इसके महत्व की बात करें तो पितृपक्ष के दौरान पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मणों को भोजन करवाना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान 16 दिनों तक पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। शास्त्रों में माना जाता है कि जो लोग पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान नहीं करते, उनके घर में कोई न कोई अनहोनी होती। मगर इन्हें भोजन के दौरान किन चीज़ों का भोग लगाना चाहिए, इस बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक माना जाता है।
यहां जानें पितृ भोज में होनी चाहिए कौन सी वस्तुएं-
खीर-पूरी और मीठे पकवान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के आखिरी दिन यानि सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध के दौरान खीर-पूरी और मीठे पकवानों का भोग लगाना चाहिए। ध्यान रहे पितरों को अर्पित किए जाने वाला भोजन स्वादिष्ट तथा सात्विक होना चाहिए।
उड़द-दाल के व्यंजन
पितर तर्पण के भोजन में उड़द की दाल के व्यंजन का होना भी बहुत ज़रूर होता है। आप इसमें समय उड़द की दाल से इमरती, दही बड़ा, उड़द की दाल भरी कचौड़ी इत्यादि व्यंजन शामिल कर सकते हैं।
केले का भोग
श्राद्ध के दौरान भोजन के साथ-साथ पितरों को फलों का भी भोग लगाना आवश्यक माना जाता है। इसमें केला का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि पितरों को फल के रूप में केला सबसे अधिक प्रिय होता है।
क्या न बनाएं
बताया जाता है पितृ पक्ष के दौरान चना, मसूर, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला नमक, लौकी,प्याज, लहसुन, बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बासी, खराब अन्न, फल और मेवे जैसी चीजें श्राद्ध भोज में शामिल नहीं करनी चाहिए। इससे पितर नाराज़ होते हैं।