एएमयू ने कोर्स से हटाई पाकिस्तानी लेखकों की किताबें
पीएम मोदी को चिट्ठी लिखे जाने के बाद हटाई गई बुक्स
दोनों लेखकों की किताबें बीए और एमए में पढ़ाई जाती थी
यूपी डेस्क: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस्लामिक स्टडीज विभाग से पाकिस्तानी लेखक मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी और इजिप्ट के सैयद कुतुब की सभी किताबें सिलेबस से हटा दी हैं. ये किताबें अब तक यहां बीए और एमए कक्षाओं में पढ़ाई जाती रही है. इन लेखकों पर आरोप हैं कि ये इस्लामिक स्टेट के हिमायती रहे. एएमयू जनसंपर्क विभाग के चेयरमैन प्रोफे० साफे किदवई ने कहा है कि मौदूदी की जो कंट्रोवर्शियल किताबें है उनके संबंध में एएमयू के इस्लामिक डिपार्टमेंट के चेयरमैन मोहम्मद इस्माइल से बात हुई तो उन्होंने बताया है कि मौदूदी की जो किताबें थीं. जो उनकी एक तरह की सोच को ज़ाहिर करती थीं. जो कि बीए और एमए में पढ़ाई जाती थीं, उनको सिलेबस से हटा दिया गया है.विश्वविद्यालय ने यह निर्णय सामाजिक कार्यकर्ता मधु किश्वर सहित 20 से ज्यादा शिक्षाविदों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखे जाने के बाद लिया है. इन किताबों को प्रतिबंधित करने से पहले यह प्रकरण देशभर के शिक्षाविदों के बीच चर्चाओं में रहा. शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 27 जुलाई 2022 को लिखे पत्र में कहा है कि एएमयू, जामिया मिलिया इस्लामिया और हमदर्द विश्वविद्यालय सहित राज्य द्वारा वित्त पोषित कई विश्वविद्यालयों द्वारा यह किताब पढ़ाई जा रही है. उन्होंने पत्र में पाकिस्तान के कट्टर इस्लामिक प्रचारक और जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना सय्यद अबुल आला मौदूदी की किताबों को बनाए जाने पर भी सवाल उठाए हैं.
इन शिक्षाविदों ने पत्र में कहा है कि हिंदू समाज संस्कृति और सभ्यता पर लगातार हो रहे हमले ऐसे पाठ्यक्रम के प्रत्यक्ष परिणाम है. शिक्षाविदों ने पत्र में यह भी कहा है कि पाकिस्तानी लेखक मौदूदी हर जगह गैर मुसलमानों के नरसंहार की बात करते हैं. उनकी शिक्षाएं गैर मुस्लिम विरोधी हैं. साथ ही पूर्ण इस्लामीकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं. आतंकी संगठन भी मौदूदी के विचारों को आदर्श मानते हैं.
एएमयू जनसंपर्क विभाग के चेयरमैन प्रोफे० साफे किदवई ने बताया है हमारी यूनिवर्सिटी में जो इस्लामिक स्टडीज डिपार्टमेंट है उसमें इस्लाम से संबंधित जो धारणाएं है वह पढ़ाई जाती हैं. मौलाना मौदूदी की किताबों में कंट्रोवर्शियल जो बुक्स थीं, इस संबंध में डिपार्टमेंट के चेयरमैन मोहम्मद इस्माइल से बात हुई तो उन्होंने बताया है कि मौदूदी की जो किताबें थीं. जो उनकी एक तरह की सोच को ज़ाहिर करती थीं. जो कि बीए और एमए में पढ़ाई जाती थीं, उनको सिलेबस से हटा दिया.