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लखीमपुर खारी हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा जेल से रिहा,सुप्रीम कोर्ट से मिली है सशर्त जमानत

  • आशीष मिश्रा जेल से हुए रिहा

  • 14 मार्च को होगी सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई

  • क‍िसानों को रौंदते हुए चली गई थीं गाड़‍ियां

(उत्तरप्रदेश डेस्क) केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा को शुक्रवार को खीरी जिला जेल से रिहा कर दिया गया. उसे जेल के पीछे के दरवाजे से बाहर निकाला गया. आशीष मिश्रा की जेल से रिहाई की पुष्टि करते हुए खीरी जिला जेल के वरिष्ठ अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा ने बताया, “हां उसे इस जेल से रिहा कर दिया गया है. हमें सत्र न्यायालय से रिहाई का आदेश मिल गया है.”सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लखीमपुर खीरी हिंसा  मामले में मुख्य आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को आठ हफ्ते की अंतरिम जमानत दे दी. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि आशीष मिश्रा सिर्फ निचली अदालत की कार्यवाही में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश जाएं, अन्यथा किसी अन्य मामलों में राज्य में प्रवेश न करें.

लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी है. कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल आशीष को 8 हफ्ते के लिए रिहा किया जा रहा है. लेकिन शर्तों के उल्लंघन पर ज़मानत रद्द हो सकती है. आशीष को रिहाई के 1 हफ्ते के भीतर उत्तर प्रदेश छोड़ना होगा. वह फिलहाल दिल्ली में भी नहीं रह सकता.

कोर्ट ने यह भी कहा है कि वह मामले पर 14 मार्च को फिर सुनवाई करेगा. उस दिन आज दिए आदेश कि समीक्षा की जाएगी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के आरोपी 4 किसानों को भी अंतरिम ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

Photo: Republic

दरअसल 3 अक्टूबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में आंदोलनकारी किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाए जाने की घटना हुई थी. इस घटना में और उसके बाद उग्र किसानों की तरफ से की गई पिटाई में कुल 8 लोगों की जान गई थी. मामले का मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्रा उर्फ मोनू है. 10 फरवरी, 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आशीष को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया था. उसके बाद से वह जेल में है. अब सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ उसकी रिहाई का आदेश दिया है.

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आशीष मिश्रा की तरफ से दलील दी गई थी कि वह 1 साल से अधिक समय जेल में बिता चुका है, जबकि घटना में उसके शामिल होने का कोई पुख्ता सबूत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट को भेजी रिपोर्ट में लखीमपुर खीरी की निचली अदालत के जज ने बताया था कि मुकदमे का निपटारा होने में 5 साल तक का समय लग सकता है. इस पर कोर्ट ने आशीष को जमानत का संकेत देते हुए कहा था कि मुकदमा खत्म होने तक किसी को जेल में बंद नहीं रखा जा सकता.

Lakhimpur Kheri Case

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