भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक CAG ने चौकाने वाला खुलासा
मुख्यालय में उच्च शिक्षा पर सीएजी ने रिपोर्ट जारी की
प्रदेश में वर्ष 2019-20 में उच्च शिक्षण संस्थानों की खस्ताहाल स्थिति की तश्वीर सामने आई है
प्रयागराज, अखबारवाला। उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति पर भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक CAG ने चौकाने वाला खुलासा किया है। प्रयागराज स्थित मुख्यालय में उच्च शिक्षा पर सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश में वर्ष 2019-20 में उच्च शिक्षण संस्थानों की खस्ताहाल स्थिति की तश्वीर सामने है। रिपोर्ट में प्रदेश में उच्च शिक्षा में छात्रों के नामांकन में कमी,छात्र शिक्षक अनुपात में भारी, शोध में कमी और इन सबकी वजह से रोजगार के लिए अनुपयुक्तता सामने रखी गई है। रिपोर्ट में इसके लिए सुधार के बिन्दुओं पर भी अपने सुझाव रखे हैं।
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भारत के नियंत्रक महा लेखा परीक्षक CAG ने उत्तर प्रदेश के वर्ष 2019-20 की उच्च शिक्षा की स्थिति की आज जो रिपोर्ट सामने रखी हैं वह सरकार के लिए आँखे खोलने वाली है। रिपोर्ट में कहा गया है प्रदेश में उच्च शिक्षा संस्थानों एनरोलमेंट 25.30 प्रतिशत पहुच गई है जो राष्ट्रीय स्तर 27.10 से बहुत कम है। रिपोर्ट में राज्य में उच्च शिक्षा में छात्र शिक्षक अनुपात 150:1 का है जबकि यूजीसी ने उच्च शिक्षा में 20:1 का अनुपात तय किया है। NAAC की देश टॉप 100 युनिवेर्सिटी या महा विद्यालयों में यूपी का कोई भी राज्य विश्वविद्यालय या उसका महा विद्यालय शामिल नहीं है।
प्रयागराज स्थित अपने मुख्यालय में मीडिया के सामने साझा की गई इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस वित्तीय वर्ष तक राज्य के 20 जिलों में कोई भी सरकारी उच्च शिक्षा का संस्थान नहीं है। पांच जिलों में एक भी सरकारी या निजी उच्च शिक्षा संस्थान नहीं है। CAG ने प्रदेश के दो सबसे पुराने विश्वविद्यालय काशी विद्यापीठ और लखनऊ विश्वविद्यालय की विस्तृत ऑडिट में उच्च शिक्षा को लेकर और भी निराश करने वाली रिपोर्ट सामने रखी है। इनमे शोध को लेकर गिरावट , नए रोजगार आधारित पाठ्यक्रमो को शामिल न करने में अरुचि और इन्फ्रास्ट्रक्चर में बड़ी कमी सामने आई है।
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