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Chanakya Niti: आग से भी खतरनाक होती हैं ये चीज़ें, जीते जी देती है जला

  • आग से भी खतरनाक होती हैं ये बातें
  • चाणक्य से जानें कौन सी बातें जलाती हैं अंदर ही अंदर

धर्म डेस्क: अक्सर आप ने लोगों को कहते सुना होगा कि कुछ बातें आगे से ज्यादा खतरनाक होती हैं। मगर क्या आपने कभी ये जानने का प्रयास किया है कि इस तथ्य में कितनी सच्चाई है? अगर नहीं तो आपको बता दें भारत के महान अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ व कूटनीतिज्ञ कहे जाने वाले आचार्य चाणक्य ने बताया है कि इस वाक्य में कितनी सच्चाई है। जी हां, उन्होंने अपने नीतिशास्त्र में इससे जुड़ा एक श्लोक भी लिखा है जिसमें उन्होंने अच्छे से बताया है कि कौन सी बातें इंसान को आग से भी ज्यादा खतरनाकर होती हैं और अंदर से जलाने की क्षमता रखती है।

चलिए जानते हैं चाणक्य नीति सूत्र के इस श्लोक व इसके अर्थ के बारे में-
चाणक्य नीति श्लोक-

कान्तावियोग स्वजनापमानो ऋणस्य शेषः कुनृपस्य सेवा।
दरिद्रभावो विषया सभा च विनाग्निमेते प्रदहन्ति कायम्।।

सबसे पहले इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि पत्नी के लिए पति का वियोग, किसी कारणवश उससे अलग हो जाना किसी आग से कम नहीं माना जाता है। आचार्य कहते हैं अगर किसी दंपत्ति में अधिक प्रेम हो मगर किसी कारण पति पत्नी को अलग हो जाना पति पत्नी दोनों के लिए आग में जलने समान होता है।

इसके बाद आचार्य कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति के घर परिवार का कोई सदस्य कहीं पर बेइज्जत हो या उन्हें किसी वजह से अपमानित होना पड़े तो व्यक्ति जिंदा ही हुए भी मरने के समान हो जाता है।

चाणक्य के अनुसार जिस व्यक्ति के माथे पर कर्ज का बोझ हो या फिर कोई व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दुष्ट राजा की जी हुजूरी करता हो, इस हालात में व्यक्ति खुद की इच्छा के विपरित काम करता है। तथा दुष्ट लोग अगर सभा कर रहे हों तो वो भी साधारण मनुष्य को कचोटती है। जिसके चलते इंसान अंदर ही अंदर जलता व घुटता रहता है मगर किसी से कुछ बोल नहीं पाता।

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