सीएम अशोक गहलोत आज हुए 72 साल के
राजस्थान की राजनीति में दिग्गजों को ऐसे पछाड़ा
कांग्रेस में अशोक गहलोत का सफर
जयपुर. कांग्रेस शासित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत देश के उन कद्दावर क्षत्रपों में से हैं, जिन्होंने अपने राज्य में मोदी-शाह की बीजेपी की कोई चाल कामयाब नहीं होने दी। बेहद साधारण बहुमत के साथ राजस्थान में सत्ता में आई कांग्रेस को इन चार चालों में तमाम तरह के आंतरिक और बाहर चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे अशोक गहलोत ने केवल अपने आप को पार लगाया बल्कि विरोधियों को भी उनकी जगह दिखा दी। जादूगर से राजनेता बने कांग्रेस के इस बचे-खुचे क्षत्रप का आज यानी बुधवार 3 मई को जन्मदिन है।
72 के हुए अशोक गहलोत
3 मई 1951 को जोधपुर में जादूगर लक्ष्मण सिंह के घर जन्मे अशोक गहलोत आज 72 साल के हो गए हैं। चुनावी वर्ष में राजस्थान सीएम अपना जन्मदिन उदयपुर में आदिवासियों के साथ मनाएंगे। कानून में स्नातक और अर्थशास्त्र में मास्टर्स करने वाले गहलोत ने छात्र जीवन में ही अपनी सियासी पारी का आगाज कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। तीसरी बार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ऐसे समय में हिंदी पट्टी के एक बड़े राज्य की कमान संभाल रहे हैं, जब मोदी-शाह की बीजेपी आक्रमक ढंग से सूबों में सत्ता हासिल कर रही है।
कांग्रेस में अशोक गहलोत का सफर
परिवारवाद के लिए कुख्यात कांग्रेस पार्टी में अशोक गहलोत उन गिने-चुने और जमीनी राजनेताओं में शुमार हैं, जिन्होंने एक मामूमी कार्यकर्ता के तौर पर अपनी सियासी पारी शुरू की थी। उन्होंने पार्टी में हर पायदान को लांघते हुए आज यह मुकाम हासिल किया है। बीते पांच दशक से राजनीति में सक्रिय अशोक गहलोत पांच बार सांसद, तीन बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, तीन बार केंद्र में मंत्री, तीसरी बार मुख्यमंत्री, पांच बार विधानसभा सदस्य और दो बार कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं।
राजस्थान की राजनीति में दिग्गजों को ऐसे पछाड़ा
जादूगिरी की वजह से राजस्थान की राजनीति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गिलीबिली भी कहा जाता रहा है। जाट,मीणा, गुर्जर और राजपूत जैसी प्रभावशाली जातियों से आने के बावजूद गहलोत ने अपने आप को जिस तरह से प्रदेश की राजनीति में स्थापित किया है, वो एक राजनेता के तौर पर एक बड़ी उपलब्धि है। अशोक गहलोत जिस माली जाति से आते हैं, उसका राजस्थान में कोई खास आधार नहीं है। फिर भी वे परसराम मदरेणा, राजेश पायलट, सीपी जोशी और सचिन पायलट जैसे दिग्गजों को पछाड़कर राज्य की राजनीति के सिरमौर बन गए।
हर बार दिग्गजों को पछाड़ कर बने सीएम
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जब बीजेपी को हराकर सत्ता में आई, तब परसराम मदरेणा मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार थे। बताया जाता है कि अधिकतर विधायक भी उनके पक्ष में थे। इसके अलावा वरिष्ठ नेता राजेश पायलट भी एक दावेदार था। लेकिन तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी का आर्शीवाद हासिल कर पहली बार सीएम पद हासिल करने में सफल रहे।
2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को उनके नेतृत्व में बीजेपी के हाथों कड़ी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। जिसके बाद गहलोत केंद्र की राजनीति में एक्टिव हो गए थे। इसके बाद राज्य में कांग्रेस की कमान सीपी जोशी के हाथ में आ गई। 2008 के विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता पलटने में कामयाब भी रही। लेकिन खेल कुछ ऐसा हुआ कि एकबार फिर मुख्यमंत्री का पद अशोक गहलोत के हिस्से में आ गिरा। दरअसल, सीएम पद के प्रबल दावेदार तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी मात्र एक वोट से नाथद्वारा से विधानसभा चुनाव हार गए थे।
2013 में मोदी लहर का आगाज हो चुका था। जिसका परिणाम ये हुआ कि अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस को राजस्थान में सबसे बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा था। इसके बाद गहलोत फिर से राज्य़ की राजनीति से दूर केंद्र की राजनीति में एक्टिव हो गए। कांग्रेस ने राज्य की कमान इसबार युवा नेता और राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट के हाथ में दे दी।
पायलट ने 2018 में अपने आप को साबित भी किया और राज्य में कांग्रेस को सत्ता दिलाई। तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को राहुल गांधी का चहेता माने जाने के कारण सीएम पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन अशोक गहलोत एक बार फिर यहां बाजी मारने में सफल रहे। पायलट उन्हें हटाने की अब तक कई कोशिशें कर चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी है।