अब राजस्थान संकट सुलझाने में जुटी कांग्रेस
आलाकमान की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली तलब किया गया
सचिन पायलट ने खोल रखा है मोर्चा
National Desk: कर्नाटक में भाजपा के खिलाफ बड़ी चुनावी जीत हासिल करने के बाद अब कांग्रेस नेतृत्व ने राजस्थान पर निगाहें टिका दी है। राजस्थान में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच पैदा हुए विवाद का जल्द निपटारा करने की कोशिश में जुट गई है। इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पार्टी आलाकमान की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली तलब किया गया है।
पार्टी हाईकमान के बुलावे पर मुख्यमंत्री गहलोत सोमवार को दिल्ली पहुंचने वाले हैं। गहलोत के दिल्ली दौरे के बाद सचिन पायलट को भी दिल्ली तलब किया जा सकता है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं से चर्चा के बाद राजस्थान कांग्रेस का संकट सुलझाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा सकता है। दोनों नेताओं से चर्चा के दौरान राजस्थान में कांग्रेस की चुनावी रणनीति को भी अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।
राजस्थान कांग्रेस का संकट लंबे समय से कांग्रेस नेतृत्व के लिए गले की हड्डी बना हुआ है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट लंबे समय से एक-दूसरे पर हमला करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दोनों नेताओं के बीच चल रही खींचतान के कारण पार्टी की चुनावी तैयारियां भी प्रभावित हो रही हैं। गहलोत सरकार पर दबाव बनाने के लिए पायलट एक दिन का अनशन करने के साथ ही पांच दिनों की पदयात्रा भी निकाल चुके हैं।
उनकी मांग है कि कांग्रेस को अपना चुनावी वादा निभाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करानी चाहिए। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। इस कारण दोनों नेताओं में तकरार लगातार बढ़ती जा रही है। दोनों नेताओं के बीच चल रही खींचतान की वजह से पार्टी में गुटबाजी भी चरम पर पहुंच चुकी है और दोनों गुट मोर्चेबंदी की कोशिश में जुटे हुए हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत और पायलट के झगड़े ने पार्टी नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है। यही कारण है कि पार्टी आलाकमान ने अब इस संकट को सुलझाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री गहलोत को इस बाबत चर्चा के लिए दिल्ली तलब किया गया है। गहलोत पहले 27 मई को ही दिल्ली पहुंचने वाले थे मगर तबीयत खराब होने के कारण वे शनिवार को दिल्ली नहीं पहुंचे। अब उनके सोमवार को दिल्ली पहुंचने की बात कही जा रही है।
दिल्ली दौरे से पूर्व मीडिया से बातचीत के दौरान गहलोत ने कहा कि कांग्रेस में अनुशासन सबसे बड़ी चीज है और पार्टी हाईकमान का फैसला हर किसी को मानना होता है। उन्होंने कहा कि पहले सोनिया गांधी सारे फैसले लिया करती थीं और अब वह भूमिका मलिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी निभा रहे हैं। गहलोत ने कहा कि दिल्ली में होने वाली बैठक में सबकी ओर से अपना-अपना सुझाव दिया जाएगा और उसके बाद पार्टी हाईकमान के फैसले को सभी लोग मानेंगे।
दोनों नेताओं की खींचतान से बढ़ीं मुश्किलें
दूसरी ओर सचिन पायलट ने अभी भी तीखा तेवर अपना रखा है। वे भ्रष्टाचार के मामलों और पेपर लीक होने के मुद्दे पर लगातार हमलावर बने हुए हैं। इन मुद्दों के जरिए वे गहलोत सरकार पर निशाना साधने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए लेकर 31 मई तक डेडलाइन दे रखी है। उन्होंने ऐलान किया है कि यदि उनकी मांगों पर गौर नहीं फरमाया गया तो वे और उनके समर्थक गांव-गांव और शहर-शहर जाकर आंदोलन करेंगे।
पायलट की चेतावनी के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने सक्रियता बढ़ा दी है। पार्टी नेतृत्व की ओर से जल्द से जल्द इस संकट को सुलझाने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। भाजपा की ओर से चुनावी सक्रियता बढ़ाए जाने के बाद कांग्रेस नेतृत्व सतर्क हो गया है। दरअसल राजस्थान में लंबे समय से हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड रहा है।
ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व को भी यह बात समझ में आ गई है कि यदि जल्द ही इस संकट का समाधान नहीं किया गया तो राजस्थान की सत्ता हाथ से निकल सकती है। अब यह देखने वाली बात होगी कि गहलोत और पायलट की तकरार खत्म करने में पार्टी नेतृत्व को कहां तक कामयाबी मिल पाती है