छिपाने के लिए कुछ नहीं तो अडानी की जांच कराएं
अडानी और सरकार के संबंधों की होनी चाहिए जांच
हमें धमकी दी जा रही है- जयराम रमेश
नेशनल डेस्क: कांग्रेस ने अडानी समूह से जुड़े मामले को ‘मित्रवादी पूंजीवाद’ की मिसाल करार देते हुए मंगलवार को कहा कि अगर इस मामले पर सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है तो वह संयुक्त संसदीय समिति गठित करने से भाग क्यों रही है।पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान को लेकर यह टिप्पणी की। शाह ने कहा है कि अडानी समूह के मामले में भारतीय जनता पार्टी के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है।
जयराम रमेश ने कहा कि जब राहुल गांधी ने लोकसभा में और मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में जब अडानी का मामला उठाया गया तो उन्हें चुप कराने की कोशिश की गई। अडानी मामले की जांच होनी चाहिए। जेपीसी में बहुमत सत्ता पार्टी की होगी, जेपीसी को कहिए कि जांच करवाएं। उन्होंने कहा कि विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार है सवाल करने का, यह कोई नियम का उल्लंघन नहीं है। बजट सत्र की कार्यवाही का स्थिगित होना कोई नई बात नहीं है।
पहले भी ऐसा होता रहा है। कांग्रेस के कार्यकाल में भी कई बार लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित हुई है।जयराम रमेश ने जोर देकर कहा कि अगर उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है तो सरकार को जेपीसी की अनुमति देनी चाहिए। रमेश ने कहा कि अदालत में दायर की गई उस याचिका को देखना महत्वपूर्ण है, जिसके बारे में उनका दावा है कि वह मूल रूप से हिंडनबर्ग शोध के खिलाफ थी। रमेश ने कहा कि जांच अडानी और सरकार के साथ उसके संबंधों के खिलाफ होनी चाहिए।
कांग्रेस महासचिव ने कहा, क्या राज्य के महालेखाकार के कार्यालय द्वारा 12 मई 2017 को लिखित रूप में ये कहा गया कि अडानी के साथ यह समझौता ‘पक्षपातपूर्ण व्यवहार’ की परिधि में आता है और इससे अडानी की कंपनी को ‘अनुचित लाभ’ मिलेगा? राज्य सरकार की इस लंबे समय से चली आ रही नीति को बदलने के लिए झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को राज़ी करने में आपकी क्या भूमिका थी?
उन्होंने प्रधानमंत्री से यह सवाल भी किया, नीतिगत बदलाव में प्रधानमंत्री कार्यालय की क्या भूमिका थी, जिससे अडानी पावर को कोयले के आयात शुल्क के उन्मूलन से प्रति वर्ष 300 करोड़ रुपए का लाभ प्राप्त हुआ?
जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी को जॉइंट पार्लियामेंट कमेटीसे क्या परेशानी है। बीजेपी क्यों जेपीसी से भाग रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को संसद में बोलने भी नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों की अडानी के मुद्दे पर एक ही राय है। उनका कहना है कि सरकार का कहना है कि वह हिंडनबर्ग की जांच कराएंगे जबकि जांच तो अडानी की होनी चाहिए। जांच इस बात की होनी चाहिए कि आखिर अडानी और पीएम मोदी के बीच क्या रिश्ता है। पिछले 10 सालों में अडानी को क्या फायदा पहुंचाया गया है।इन सब बातों की जांच होनी चाहिए।