दलाई लामा ने मंगोलिया के बच्चे को आध्यात्मिक लीडर घोषित किया
कौन है ये मंगोलियाई लड़का
2016 में मंगोलिया का दौरा किया था
National Desk: तिब्बत के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा ने अमेरिका में पैदा हुए एक मंगोलियाई लड़के को तिब्बती बौद्ध धर्म के तीसरे सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक नेता के रूप में घोषित किया है। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित एक समारोह में आठ वर्षीय लड़के को दलाई लामा के साथ दिखाया गया। 87 वर्षीय दलाई लामा जिनका जन्म का नाम तेनज़िन ग्यात्सो है वर्तमान में धर्मशाला में निर्वासन में रह रहे हैं और उन्हें 10वें खलखा जेट्सन धम्पा रिनपोचे के रूप में मान्यता प्राप्त है। दलाई लामा को इन्हीं का पुनर्जन्म माना जाता है। वर्तमान दलाई लामा को 1937 में पिछले नेता के पुनर्जन्म के रूप में पहचाना गया था जब वह सिर्फ दो साल के थे।
पुनर्जन्म
दलाई लामा ने समारोह में उपस्थित अपने अनुयायियों से कहा, “आज हमारे साथ मंगोलिया के खलखा जेट्सन धम्पा रिनपोछे का पुनर्जन्म है।” उन्होंने कहा, “‘उसके पूर्ववर्तियों का चक्रसंवर के कृष्णाचार्य वंश के साथ घनिष्ठ संबंध था। उनमें से एक ने मंगोलिया में अपने अभ्यास के लिए समर्पित एक मठ की स्थापना की। इसलिए, आज उनका यहां होना काफी शुभ है।
मंगोलियाई समाचार रिपोर्टों के अनुसार, यह बच्चा जुड़वा लड़कों में से एक है, जिनके नाम अगुइदई और अचिल्टाई अल्टानार हैं। वे अल्टानार चिंचुलुन और मोनखनासन नर्मंदख के पुत्र हैं, जो क्रमशः एक विश्वविद्यालय गणित के प्रोफेसर और एक राष्ट्रीय संसाधन समूह के कार्यकारी अधिकारी हैं। इन बच्चों की दादी, गरमजाव सेडेन मंगोलियाई संसद की पूर्व सदस्य हैं। यह पहला मौका है था जब यह लड़के सामने आया और उसे दलाई लामा के साथ देखा गया। इस लड़के को पुनर्जन्म के रूप में घोषित किये जाने की खबर आते ही मंगोलिया में जश्न शुरू हो गया।
ये माना जा रहा है कि दलाई लामा की घोषणा को चीन तनिक भी पसंद नहीं करेगा। चीन दरअसल दलाई लामा को पसंद नहीं करता है। चीन का कहना रहा है कि वह केवल उन बौद्ध नेताओं को मान्यता देगा जिन्हें सरकार ने चुना है, ऐसे में एक मंगोलियाई लड़के के पुनर्जन्म की घोषणा से चीन को नाराज होने की पूरी संभावना है।
इसके पूर्व दलाई लामा ने 1995 में एक नए दूसरे सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध नेता के रूप में पंचेन लामा का नाम लिया था। लेकिन इसके जल्द बाद चीनी अधिकारियों ने इस बच्चे को गिरफ्तार कर लिया था और उसकी जगह अपने उम्मीदवार को पेश कर दिया था। बौद्ध समुदाय के सदस्यों का अनुमान है कि वर्तमान दलाई लामा के निधन के बाद भी कुछ ऐसा ही हो सकता है। बता दें कि दलाई लामा 1959 में चीनी अधिकारियों के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद तिब्बत से भाग कर भारत आ गए थे।