- सरकार strategic disinvestment पर कर रही विचार
- वित्त राज्य मंत्री ने प्रक्रिया की दी जानकारी
- 6 कंपनियों को बंद करने का भी प्लान
नेशनल डेस्क: देश की आर्थिक तरक्की के लिए सरकार बड़े बड़े सुधार कर रही है। देश के आर्थिक विकास के रोडमैप में सरकार ने निजीकरण की रफ्तार तेज कर दी है।
वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कंपनियों में रणनीतिक विनिवेश यानी स्ट्रैटजिक डिसइनवेस्टमेंट की प्रक्रिया के बारे में बताया। जिसके अनुसार केंद्र सरकार अपनी 20 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने की तैयारी मे है। इसी के साथ ही छह ऐसी कंपनियाँ हैं, जिसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। जिन कंपनियों को बंद करने पर केंद्र विचार कर रहा है, उनमें स्कूटर्स इंडिया, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट, हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन लिमिटेड (HFL), भारत पंप्स एंड कम्प्रेसर्स लिमिटेड, हिंदुस्तान प्रीफैब, और कर्नाटक एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के नाम शामिल हैं।
रणनीतिक विनिवेश क्या है?
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Public Sector Undertakings, PSUs) में सरकार की हिस्सेदारी को बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है। इसके लिये सरकार अपने हिस्से के शेयर्स को किसी निजी इकाई को स्थानांतरित कर देती है किंतु उस उपक्रम पर अपना स्वामित्व अथवा मालिकाना हक बनाए रखती है।
सरकार नीति आयोग के फॉर्मूले पर कर रही है विनिवेश
ठाकुर का कहना है कि नीति आयोग ने सरकारी कंपनियों के विनिवेश के लिए कुछ शर्तें तय की हैं। इसके आधार पर सरकार ने 2016 से लेकर अब तक 34 कंपनियों में strategic disinvestment को मंजूरी दी है। इनमें से आठ मामलों में यह प्रक्रिया पूरी हो गयी है। छह को बंद करने पर विचार किया जा रहा है और बाकी 20 कंपनियों में विनिवेश की प्रक्रिया अलग-अलग चरण में चल रही है।
जिन कंपनियों में स्ट्रेटजिक सेल के तैयारी है. उनकी फेहरिस्त में एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड, इंडियन मेडिसिन एंड फार्मास्यूटिक्ल कॉरपोरेशन लिमिटेड, आईटीडीसी की विभिन्न यूनिट्स, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स, बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड शामिल हैं।