श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई
मथुरा जिला कोर्ट को आख्या पेश केरने के दिया आदेश
2 अगस्त को होगी हाईकोर्ट में मामले की अगली सुनवाई
प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह विवाद मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मथुरा जिला जज से वादी और प्रतिवादी पक्ष की आख्या तलब की है। कोर्ट ने जिला जज मथुरा को अब तक मामले में की गई कार्यवाही से अवगत कराने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि अगर विवादित परिसर का सर्वे कराए जाने की आवश्यकता है, तो क्यों इस मामले में देरी की जा रही है। कोर्ट ने इस मामले में 2 अगस्त को अगली सुनवाई करने का आदेश पारित किया है। मुख्य पक्षकार मनीष यादव ने बताया कि हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि वाद मामले को लेकर कोर्ट द्वारा कमिश्नर नियुक्त करने की मांग पर याचिका दायर की गई है। जिसमें आज हाईकोर्ट ने सुनवाई की। साथ ही हाईकोर्ट ने जिला जज मथुरा को आदेश दिए है, मामले की पूरी आख्या तत्काल पेश करें।
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आपको बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान-ईदगाह विवाद मामले को लेकर मथुरा कोर्ट में लगातार कई वादों पर सुनवाई चल रही है। सभी वादों की एक ही मांग है कि मंदिर की भूमि पर बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाया जाए, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का वहां गर्भ गिरा था। जिसको तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया। इसी कड़ी में मथुरा कोर्ट के बाद अब कुछ हिंदू संगठन और हिंदूवादी नेता इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा है। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में मांग की है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान-ईदगाह विवाद मामले में जल्द से जल्द सुनवाई हो। साथ ही मांग की है कि शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर का निर्माण हो और कमिश्नर नियुक्त करके वहां का सर्वे कराया जाए।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह और एडवोकेट राजेंद्र माहेश्वरी आदि ने ठाकुर केशवदेव को वादी बनाकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन का दावा किया है। दावे में बताया गया है कि औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद तैयार करवाई थी। लिहाजा मस्जिद की जमीन पर न्यास का अधिकार है। मामले की स्थायित्व को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान पक्षकारों ने अदालत में ईदगाह के कोर्ट कमिश्नर के संबंध में आवेदन दिया था। उनकी ओर से मांग की गई है कि पहले कोर्ट कमिश्नर के मुद्दे पर मामले की सुनवाई होनी चाहिए। बहस के बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन ने पहले इस मुद्दे पर सुनवाई करने का आदेश दिया कि मामला रखरखाव योग्य है या नहीं।
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