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जन्माष्टमी के दिन इस आरती के साथ ही मानी जाती है पूजा सम्पूर्ण, जानिए इसकी वजह

जन्माष्टमी 2020 में 11-12 अगस्त को मनाई जाएगी। जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के भक्त उन्हें रिझाने के लिए कई तरह के मंत्र, चालीसा, स्तुति और आष्टकम् आदि का पाठ करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान का जन्मोत्सव मनाने के बाद भगवान की आरती अवश्य करनी चाहिए। हिन्दू धर्म में यह माना जाता है कि आरती के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं होती है। पूजा करने में जो कोई गलतियां हो जाती हैं, आरती उन गलतियों के लिए मांगी जाने वाली क्षमा का रूप होती है। इसलिए यह बहुत जरुरी होता है कि पूजा के बाद आरती की जाए। जन्माष्टमी 2020 की इस स्टोरी में जानिए जन्माष्टमी के दिन की जाने वाली श्री कृष्ण की आरती-

श्री कृष्ण की आरती (Shree Krishna Ki Aarti)

आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
गले में बैजन्तीमाला बजावैं मुरलि मधुर बाला॥
श्रवण में कुंडल झलकाता नंद के आनंद नन्दलाला की।।आरती कुंज…।।
गगन सम अंगकान्ति काली राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर-सी अलक कस्तूरी तिलक।
चंद्र-सी झलक ललित छबि श्यामा प्यारी की।।आरती कुंज…।।
कनकमय मोर मुकुट बिलसैं देवता दरसन को तरसैं।
गगन से सुमन राशि बरसैं बजै मुरचंग मधुर मृदंग।
ग्वालिनी संग-अतुल रति गोपकुमारी की।।आरती कुंज…।।
जहां से प्रगट भई गंगा कलुष कलिहारिणी गंगा।
स्मरण से होत मोहभंगा बसी शिव शीश जटा के बीच।
हरै अघ-कीच चरण छवि श्री बनवारी की।।आरती कुंज…।।
चमकती उज्ज्वल तट रेनू बज रही बृंदावन बेनू।
चहुं दिशि गोपी ग्वालधेनु हंसत मृदुमन्द चांदनी चंद।
कटत भवफन्द टेर सुनु दीन भिखारी की।।आरती कुंज…।।

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