आज पूरा देश कान्हा का मना रहा जन्मदिवस
राधा कृष्ण का भी हुआ था विवाह
जानें राधा कृष्ण की पूरी कहानी
Janmashtami 2022: कान्हा की नगरी में एक तरफ कान्हा के जन्म उत्सव की तैयारियां जोरो पर है, तो वही देश विदेश से आए श्रद्धालुओ ने कान्हा को रिझाने के लिए व्यावला लीला राधा कृष्ण की शादी का मनोरथ कराया। राधा कृष्ण के इस विवाह उत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे और व्याबला लीला में सराबोर दिखाई दिए ।
भक्ति रस में सराबोर कान्हा के भक्त भगवान कृष्ण और राधा की शादी के साक्षी बने हैं। कुछ लोग राधा पक्ष की ओर से हैं तो कुछ कृष्ण पक्ष की ओर से थे। राधाबल्लभ संप्रदाय में मान्यता है कि लड़की की शादी से पहले और लड़के की शादी के बाद राधा कृष्ण की शादी को कराना चाहिए जिससे दंपत्ति के जीवन में प्रेम की बरसात होती है।
यही वजह है कि दो देह एक प्राण की कहावत राधा और कृष्ण के प्रेम के लिए कही जाती है। राधा कृष्ण एक दूसरे से दूर रहते हुए भी हमेशा एक दूसरे के करीब ही पाए गए और इसी वजह से राधा कृष्ण का प्रेम अमर है। राधा कृष्ण के प्रेम और उनके विवाह को लेकर भी तरह तरह की मान्यता हे।
मान्यता है कि जो भी लोग व्यावला लीला का दर्शन करते हैं या मनोरथ कराते हैं, उनको राधा कृष्ण के प्रेम का आर्शीवाद मिलता है और उनकें जीवन में प्रेम की कोई कमी नही होती। 16 कलाओं में निपुण भगवान योगीराज श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम के किस्से तो आपने बहुत ही सुने होंगे। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के जिस किस्से से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं, उस किस्से को शायद ही आपने कभी सुना होगा। यह किस्सा श्रीकृष्ण और राधा के गुप्त विवाह से जुड़ा हुआ है। संसार को प्रेम का संदेश देने वाले भगवान श्रीकृष्ण के विवाह का साक्ष्य धर्म ग्रंथ गर्ग संहिता व ब्रह्म वैवर्त पुराण में मिलता हे।जिसमे बताया गया है कि सात साल की उम्र में ब्रह्मा जी ने भांडीर वन में दोनो का विवाह संपन्न कराया था। जिसमे नारद जी ने कन्यादान किया था।
पदो के माध्यम से आज भी राधा कृष्ण का विवाह संपन्न होता हे जिसको समाज गायन कहा जाता है और समाज गायन के बीच इस पद के सम्पूर्ण होने के साथ माना जाता है कि राधा कृष्ण का विवाह संपन्न हो गया है। मथुरा से करीब 40 किलोमीटर दूर तहसील मांट क्षेत्र स्थित भांडीर वन है। यह वही स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण और राधा का विवाह हुआ था। जहां आज भी राधा कृष्ण के गुप्त विवाह के साक्ष्य वहां मौजूद हैं।
नारद जी ने किया था कन्यादान
भांडीरवन मंदिर के पुजारी का कहना है की जब राधा और कृष्ण का विवाह हुआ था। तो केवल 4 लोग इस विवाह में मौजूद थे। नारद जी ने राधा रानी का कन्यादान किया था। इस भांडीर वन में मौजुद कृष्ण प्रतिमा के हाथ में मुरली नही हे भगवान के हाथो में सिंदूर है। जो विवाह का प्रतीक माना जाता है।