अक्सर हम देखते है हिन्दू विवाह में बहु जब ससुराल में ग्रह प्रवेश करते समय चावल से भरे कलश को पैर से गिराने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। हिन्दू विवाह में कि जाने वाली सभी रस्मो में गृह प्रवेश समारोह एक खास हिस्सा है।
शादी समारोह में कई तरह की रस्में की जाती है जो दुल्हन के लिए खुशियों भारी,भावुक ,ओर कई रस्मे तनावपूर्ण भी होती है वही ये रस्म दुल्हन के तनाव को कम करने का काम भी करती है ज्यादातर ये रस्म दूल्हे की माँ ही करती है इस रस्म के द्वारा दुल्हन को ये एहसास कराया जाता है कि दूल्हे के परिवार वालों ने अपने दिल से दुल्हन का स्वागत किया है, और उसे अपने परिवार में शामिल कर लिया है।
ग्रह प्रवेश की रस्म अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामो ओर अलग तरीको के साथ की जाती है इस समारोह के दौरान दूल्हे के परिवार की सभी महिलाएं एकत्रित होकर घर के प्रवेश द्वार पर खड़ी रहती है फिर दूल्हे की माँ, बहु और बेटे की आरती करती है औऱ कुमकुम तिलक लगाकर उनका स्वागत करती है।फिर दूल्हा दुल्हन घर के सभी बड़े बुजुर्ग से आशीर्वाद लेते है इस तरह दुल्हन अपने ससुराल का एक हिस्सा बन जाती है।
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जब बहु का घर मे प्रवेश होता है तब उसके लिए चावल से भरा कलश रखा जाता है जिसे दुल्हन अपने दाहिने लेर की सहायता से गिराती है। अब इसी दाहिने पैर से वह ससुराल में प्रवेश करती है। कई जगहों लर दुल्हन के लिए सिंदूर पाउडर या लाल कुमकुम या आल्टा युक्त पानी रखा जाता है जिसमें पर डुबाकर वह घर में प्रवेश करती है।
ये लाल पैर के निशान बहू द्वारा सौभाग्य को ले आने को दर्शाते हैं। ये रस्म इस बात को दर्शाती है कि घर में धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी ने प्रवेश किया है।
कलश चावल अनुष्ठान का महत्व:
हिंदुओ में पूजा करते समय या प्रत्येक कार्य मे कलश का काफी महत्व रहा है। इसे सबसे महत्त्वपूर्ण पात्र कहा जाए तो गक्त नही होगा। हिन्दू परम्परा में इसे काफी शुभ माना जाता है।
इसका भी प्रयोग हर पूजा-पाठ में किया जाता है। अत: चावल से भरा कलश धन की अधिकता का प्रतीक माना जाता है जिसे दुल्हन घर में लाने की उम्मीद करती है। जब भी दुल्हन प्रवेश करते समय चावल का कलश गिराती है तो घर के भीतर धन, सुख, समृद्धि प्रवेश करती है।