नई दिल्ली (सुनील पाण्डेय) : भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के बीच छिड़े शीतयुद्व के बीच आज शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) भी कूद गया। दल ने दावा किया कि अकाली दल और भाजपा के बीच गठबंधन में दरार डालने के पीछे असली खेल तख्त श्री हजूर साहिब का खजाना है, जिसपर अकालियों की नजर पड़ गई है। अब तक अकालियों को सच्चाई पता नहीं थी, लेकिन हाल ही में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल एवं पार्टी महासचिव मनजिंदर ङ्क्षसह सिरसा जब गए, तब वहां के खजाने में पड़े 200 से 250 करोड़ रुपये की भनक लगी। उसके बाद से ही शिरोमणि अकाली दल बादल के नेताओं ने सिख भावनाओं का प्रतिनिधित्व करने का नाटक करके तख्त की कमेटी पर कब्जा करना चाहते हैं। सफलता हाथ न लगती देख अकाली महासचिव मनजिंदर ङ्क्षसह सिरसा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ ताल ठोंक दी। साथ ही एक्ट बदलने का विरोध करते हुए गठबंधन तोडऩे तक की धमकी दे दी। यहां तक कि ईंट से ईंट बजा देने का अल्टीमेटम दे दिया। सरना ने दावा किया कि अकालियों को भाजपा से रिश्ता नहीं तोडऩा है बल्कि तख्त के खजाने में पड़े करोड़ों रुपयों पर नजर है। इसके अलावा तख्त श्री हजूर साहिब के प्रबंधन में सरकार के हस्तक्षेप किये जाने संबंधी नाटकबाजी करने का उनके हाईकमान ने आदेश दिया है। सरना ने कहा कि बड़ी हैरानी की बात है कि जब भाजपा विधायक तारा सिंह 4 साल तक तख्त श्री हजूर साहिब के अध्यक्ष बने रहे तब सिरसा या बादल दल ने उनका विरोध क्यों नहीं किया। क्योंकि तब तक बादल पार्टी को तख्त के करोड़ों के खजाने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जानकारी होते ही तख्त साहिब के खजाने को लूटने की कवायद शुरू कर दी।
सरना ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने एसजीपीसी, दिल्ली कमेटी, तख्त श्री पटना साहिब कमेटी में संघ के माध्यम से कब्जा करने के बाद अब तख्त श्री हजूर साहिब की कमेटी पर कब्जा करना चाहते हंै। इसी के मद्देनजर सिख भावनाओं का प्रतिनिधित्व करने का नाटक करके अपने नापाक इरादों को पूरा करना चाहता है। दल के महासचिव हरविंदर सिंह सरना ने कहा कि बादल दल ने पार्टी के महासचिव मनजिंदर ङ्क्षसह सिरसा को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ तख्त श्री हजूर साहिब के प्रबंधन में सरकार के हस्तक्षेप किये जाने संबंधी नाटकबाजी करने का आदेश दिया है।
सरना ने आरोप लगाया कि सिरसा फडणवीस सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे, और उनकी पार्टी के अध्यक्ष अपनी कोठी पर भाजपा के प्रमुख नेताओं के लिए भोज की मेजबानी कर रहे थे। इसमें केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, राज्यवर्धन सिंह राठौर और पार्टी के अन्य सांसद शामिल थे। शाम को एनडीए बैठक का बहिष्कार करने का नाटक कर दिया। हरविंदर सिंह सरना ने कहा कि जहां तक सिक्ख संस्थानों और गुरुद्वारों की प्रबंधन समितियों में सरकार के दखल का सवाल है, उसके लिए बादल दल सिख पंथ-कौम का सबसे बड़ा गुनेहगार है।
उधर, मनजिंदर सिंह सिरसा ने सरना के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। साथ ही कहा कि सरना घटिया किस्म की राजनीति कर रहे हैं।
विज्ञापन घोटाले में खुद फंसे हैं सिरसा, ध्यान बांटने की कवायद : आरपी सिंह
भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री आरपी सिंह ने आज कहा कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में एक निजी पंजाबी चैनल को कार्यक्रम दिखाने के एवज में किए भुगतान से अपना ध्यान भटकाने के लिए तख्त श्री हजूर साहिब के एक्ट का सहारा ले रहे हैं। क्योंकि निजी चैनल के प्रसारण के रेट तय करने में सिरसा एवं उनके मुख्य सलाहकार के भी साइन हैं। जबकि शुरु में सिरसा ने ध्यान भटकाने के लिए कहा था कि जिस समय चैनल के साथ करार हुआ वह दिल्ली से बाहर थे। उन्होंने कहा कि इस मामले में कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके के बयान के बाद सिरसा खुद फंस चुके हैं। इसलिए वह इधर-उधर की बात कर अपने को ईमानदार घोषित करने की कोशिश में हैं।
पंजाबी गुरबानी चैनल को दिए लाखों रूपये
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के द्वारा पंजाब के गुरबानी चैनल को गुरुद्वारा शीशगंज साहिब से मुफ्त प्रसारण करने का अधिकार दिया गया। इसके अलावा अन्य प्रसारणों के लिए तय रेटों पर भुगतान करने का है। इस मामले में कमेटी द्वारा पिछले तीन-4 सालों के दौरान 60 लाख रुपये का भुगतान करार के तहत किया गया है। हालांकि, कमेटी महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने दावा किया कि कमेटी से जो भी भुगतान हुआ वह मेरी जानकारी के बगैर दिया गया। मेरी जानकारी में यह एग्रीमेंट नहीं हुआ और कोई भी भुगतान मेरी साइन के तहत नहीं दी गई है। सूत्रों के मुताबिक सिरसा को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने इस चैनल का भुगतान बंद कर दिया। साथ ही लिखित आर्डर में कहा कि यह गलत है और गुरू की गोलक का नुकसान है।